हिसाब कोशिशों का रखना फ़िज़ूल है
हर वो बादल जो छिपाता है
हर एक बूँद-ऐ-आब को,
मायूसी समेट लेना चाहती हैं
ज़िन्दगी की किताब को,
बचा के रखना है इससे
उस सुनहरे ख्व़ाब को
इन्हीं चट्टानों में छिपा वो पत्थर भी है,
जुस्तजू ढून्ढ ही लेगी उस नायाब को,
तबाही के बाद भी तो फूटती हैं कोपलें,
कोई बहार ढूंढ ही लेगी दिल-ऐ-बर्बाद को
कब तक छुपेगा सलाम दुप्पटे में, एक दिन
हवा कर देगी ज़ाहिर पर्दानशीं आदाब को
हिसाब कोशिशों का रखना फ़िज़ूल है,
मंजिल पाकर फुर्सत ही कहाँ कामयाब को
उम्मीद-ए-आफ़ताब को,
ज़मीन पे बहता देखोगेहर एक बूँद-ऐ-आब को,
मायूसी समेट लेना चाहती हैं
ज़िन्दगी की किताब को,
बचा के रखना है इससे
उस सुनहरे ख्व़ाब को
इन्हीं चट्टानों में छिपा वो पत्थर भी है,
जुस्तजू ढून्ढ ही लेगी उस नायाब को,
तबाही के बाद भी तो फूटती हैं कोपलें,
कोई बहार ढूंढ ही लेगी दिल-ऐ-बर्बाद को
कब तक छुपेगा सलाम दुप्पटे में, एक दिन
हवा कर देगी ज़ाहिर पर्दानशीं आदाब को
हिसाब कोशिशों का रखना फ़िज़ूल है,
मंजिल पाकर फुर्सत ही कहाँ कामयाब को
टिप्पणियाँ
जुस्तजू ढून्ढ ही लेगी उस नायाब को,
तबाही के बाद भी तो फूटती हैं कोपलें,
कोई बहार ढून्ढ ही लेगी दिल-ऐ-बर्बाद को
kafi bhaw bharee panktiyaan
ज़िन्दगी की किताब को,
बचा के रखना है इससे
उस सुनहरे ख्व़ाब को
यह दौर तो हर किसी की जिन्दगी में आता है ...पर वही सफल होता है जिन्दगी में, जो इसको मायूसियों से बचा कर रखता है ...आपकी कविता बहुत प्रेरक है
आपकी कविता बहुत प्रेरक है
dheer tum badhe chalo.."
कविता बहुत प्रेरक है
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (17-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
सुन्दर रचना...
चलती हवा कर देगी ज़ाहिर पर्दानशीं आदाब को
-न कभी छुपा है...न कभी छुपेगा...
सुन्दर अभिव्यक्ति!!