जाने दो
क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो, क्यों किस्मत से लड़ते हो? जाने दो... फिर हिंदुस्तान को तरसोगे , फिर यादों के जंगल में भटकोगे, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? क्यों वक़्त अपना ज़ाया करते हो, क्यों वही पुरानी ख़्वाहिश करते हो जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? बारिश में फिर अपनी मट्टी की खुशबू ढूँढोगे, बूँदों की आड़ में खुद भी धीरे-धीरे बरसोगे, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? फिर खलेगा गैर-ज़बान में बतियाना, जज़्बातों का अंग्रेजी से आँख चुराना, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? फिर माँ की रसोई बुलाएगी, फिर पिज़्ज़ा की शकल रुलाएगी, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? हथेली में भाई की उँगलियाँ याद आएँगी, खाली-पीली फिर आँखें भर आएँगी, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? वो दिल्ली जो बस्ती है यादों में, अब नहीं है, वो जादू, वो दौर, वो लम्हें, अब नहीं हैं, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? हाँ, यादों की धूल आज भी सड़कों पे पड़ी होगी, हर मोड़ पे माज़ी की