हिंदी उर्दू के पंख
माना बंद हैं दरवाज़े समय के, लफ़्ज़ों के झरोखों से उड़ उड़ जाऊं मैं, रोक सके तो दिखा रोक के, ऐ परदेस मुझे, हिंदी उर्दू के पंख लगा के उड़ उड़ जाऊं मैं, बातचीत के बीच उड़ जाऊं, मन ही मन मुस्का उड़ जाऊं, सबको चकमा देके उड़ उड़ जाऊं मैं तबले की ताल पे उड़ जाऊं, सितार को ढाल बना के उड़ जाऊं, बांसूरी की धुन पे, उड़ उड़ जाऊं मैं गोल-गप्पों की याद में उड़ जाऊं, इमली का खट्ठा स्वाद लिए उड़ जाऊं, साथ तड़के के धुएँ के, उड़ उड़ जाऊं मैं शेरों से बुने कालीन पे उड़ जाऊं, यूँ परदेसी ज़मीन से उड़ जाऊं, ख्यालों की बाँह पकड़े, उड़ उड़ जाऊं मैं मेहँदी से नक्शा बना के उड़ जाऊं, चूड़ियों के सितारों में उड़ जाऊं, भाई की सूरत देख चाँद में, उड़ उड़ जाऊं मैं सपनों की सिड़ी बना के उड़ जाऊं, ख्वाहीशों के पीछे-पीछे उड़ जाऊं, दुआ का आँचल थामे, उड़ उड़ जाऊं मैं