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ठहरो ज़रा

मेरी दिल्ली फिर जल रही है, यहाँ दूर बैठे मेरा दिल बैठा जा रहा है यह भारत माँ का लाडला, माँ की बर्बादी क्यों गा रहा है? वो न्याय के लिए लड़ने वाला, न्याय को ही क्यों हरा रहा है? दुनिया की ख़बर सुनाने वाला आज, पिट कर खुद ख़बरों में आ रहा है? ये पोलिस वाला चुप क्यों है, जनता को नहीं, तो यह किसे बचा रहा है? और इस सब तमाशे के बीच, वहां सीमा पर जवान अपनी जान गँवा रहा है! रुक जाओ टटोलो खुद को, शायद तुम्हारे अंदर एक इंसान मरा जा रहा है.... ठहरो ज़रा, थम के सोचो तो, ऐसे में भारत का भविष्य कहाँ जा रहा है? समझदार हो, अमन से करो जतन , देखो, आने वाला कल तुम्हे बुला रहा है।