संदेश

दिसंबर, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

नयी तारीख़: Happy New Year!

चित्र
एक और नया साल, नयी तारीख़, कल कि तारीख़, आज बन गयी तारीख़, क्या इस नए साल में लिख सकेंगे हम, एक नयी तारीख़? या फिर पुराने रंग-ढंग में ही, डूबी रहेगी यह भी तारीख़? औरत को इज़ज़त, ग़रीब कि ख़िदमत, क्या देख पाएगी हमारी तारीख़? कह रहें हैं आम आदमी का ज़माना आ गया है, क्या सचमुच आम आदमी को उठता देखेगी तारीख़? जब एक आदमी चढ़ता है तो आम नहीं रहता, क्या आम आदमी कि भीड़ को ऊंचाई पे देख पाएगी तारीख़? इतिहास में मरने-मारने कि बड़ी कहानियाँ हैं, क्या एकता और इंसानियत को हीरो बनाएगी नयी तारीख़? नए साल कि शुभकामनाएँ आज कि पीढ़ी को, जो लिखेगी बड़ों के आशीर्वाद से एक नयी तारीख़।  फ़ोटो: फेसबुक 

बातों की ईमारत

कंट्रीट कि नहीं, वो बनाता है बातों की ईमारत, बातें भी ऐसी जो वक़्त-बे-वक़्त बदल जातीं हैं, खोकली बातें, सिर्फ बातें ही बातें, अहंकार कि बातें, दूसरों को नीचा दिखाने वाली बातें, दिल को दुःखाने वाली बातें, मगर उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, वो बड़ी शिद्दत से बात पे बात रखता है, एक मंज़िल पे दूसरी मंज़िल बनाता  है, कमरों में कुर्सी-मेज़ भी बातों कि बना लेता है, मीठी बातों से जब चाहे बिठाता है, कड़वी बातों से जब चाहे ठोकर मार देता है, बड़ी दिलकश ईमारत बनाता है बातों की, लोग खिचें चले आते हैं, मगर सिर्फ बातों के दम पर कब रिश्ते टिका करते हैं? बातों के फर्श पर क़दम रखते ही, लोग मुँह की खाकर गिरा करते हैं, हाँ, दूर से यह ईमारत बड़ी अच्छी लगती है, शुरू शुरू में तो बातें भी मीठी ही होती हैं, बातें इतनी और इतना बदलतीं हैं के, ईमारत पूरी होने का नाम ही नहीं लेती, बातें बस चलती रहती हैं, कभी उससे, कभी इससे, भोले और भले लोग सुना भी करते हैं, कुछ थक गए हैं, सुनते सुनते, बेइज़त होते होते, बातों की ईटें बड़ी ज़ोर से लगतीं हैं, उम्र लग जाती है ठीक होते होते, और जब ज़ख्म बार

सुन

तू तस्सली रख, उम्मीद पे नज़र अपनी रख, अपनी मंज़िल पे ध्यान रख, होठों पे मुस्कराहट अपनी रख कोई रोक सके न तेरे कदम, कोई साथ रहे न रहे, साथ रहेंगे हम, गुस्से को भूल के, दिल में अपने बस ख़ुशी रख हाँ, दर्द होता है, जब कोई अपना ही बेदर्द होता है, तू अपने हमदर्दों से दोस्ती रख आंसूं पी के, मस्त धुन सुन, अपने मासूम सपनों को बुन, अपना सर ऊँचा और कामों में भलाई रख बुराई जो करीब आये तो दिल में न आने दे, मिले मुहोब्बत तो ज़हन में उतर जाने दे, दिल कि एक जेब में अच्छाई और दू सरी में सच्चाई रख  आएगा एक दिन तेरे पास, वो जो दूर खड़ा है, पहले जो लगाएगा  गले, जान ले, वही बड़ा है, मुठ्ठी में अपनी सदा माफ़ी रख