भाई
तेरी आँखों में आंसूं भी देखें हैं, और उनमें मुस्कराहट भी देखी है, दोनों तोड़ देतें हैं तेरी आखों के बांध और बहा लातें है बड़ी शिद्दत से तेरे जज़्बे को ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ तेरी बातें भी सुनी हैं, तेरी चुप्पी भी सही है, जब तू कहता है तो कहता है जब नहीं कहता तो बहुत कुछ कहता है ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ वो बचपन का दिन-रात का साथ भी जिया है, और सालों से सात समंदर की दूरी भी जी है, तेरे दिल के दर्द को अपनी आँखों में पाया है मेरे दिल के बोझ को तेरे कन्धों पे पाया है