इधर आजकल मन बहोत उदास सा है, मगर ऐसा नहीं है की खुशियाँ नहीं हैं। कभी बीती यादेँ सताती हैं, तो कभी कुछ और :-) और दिल इतना निक्कमा है की बरकतेँ गिनना भूल कर हर छोटी बात पे हाय-तौबा मचाने लगता है.… ख़ुशी और ग़म, मोहब्बत और शिकायत, साथ साथ ही पलते हैं, खट्टे-मीठे जज़्बात, अक्सर साथ ही चलते हैं काश एहसासों को हम एक दुसरे से जुदा कर पाते , मगर ये एहसासात, अक्सर साथ ही उभरते हैं भीगी आँखें जब मुस्कुराती हैं, तो गज़ब लगती हैं, उनकी नमीं में कई इज़हारात अक्सर साथ ही झलकते हैं न कोई वक़्त सिर्फ खुशनुमा होता है, न कोई लम्हा कतई ग़मज़दा, ज़िन्दगी में मुख्तलिफ हालात, अक्सर साथ ही पनपते हैं सोचने लगो तो जैसे ख़यालों की झड़ी सी लग जाती है, ज़ेहन से तरह-तरह के ख़यालात अक्सर साथ ही गुज़रते हैं इसलिए ज़रूरी है के नज़रिया नज़ारे से बड़ा हो क्यूंकि, आबपाशी-ओ-सैलाब के बादल, हज़रात, अक्सर साथ ही बरसते हैं