दिल
जब दिल दुखी होता है, तो बड़ा बुरा लगता है, दिल करता है दिल को हाथ में लेके सहलाऊँ, प्यार से कहूँ, 'सब्र कर' दर्द हल्का हो जाएगा फिर धीरे-धीरे थपकाऊँ, सुला दूँ थोड़ी देर अपनी हथेली पर, मगर सीने में नहीं सोता तो हथेली पे सो पाएगा, पता नहीं, शायद कोई मरहम हो जो लगा दूँ इसे, बड़ा अँधेरा है इन दिनों इसमें रौशनी में ले जाऊं इसे, ले जाऊं उसके पास, रख दूँ उसके पैरों में, कहूँ, छुले इसे, पूछूं, यह दर्द मुझसे तो कम नहीं होता, तू कर पाएगा? फिर याद आया उसने कहा था "मोहब्बत के पेड़ पर दर्द के फल लगते हैं मेरे दिल में भी बहुत दर्द है, इस जहाँ का, हर इन्सां का, जब भी कोई आंसू कहीं गिरता है, मेरा दिल भी रोता है" अब सोच रही हूँ, पहले अपना दिल सहलाऊँ, या उसका?