उसका नूर बरसता रहे यूँ ही, दिल मुस्कुराता रहे यूँ ही, कदम बढ़ते रहें यूँ ही, वो बुलाता रहे यूँ ही। Photo Credit: Joe Prewitt (Puerto Rico November 2018)
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न जाने नींद क्यों नहीं आ रही?
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दिल थका तो है, हर तरफ अँधेरा तो है, फिर जाने नींद क्यों नहीं आ रही? पलकों पे एक ख़्वाब बैठा तो है, सब ठीक सा तो है, फिर जाने नींद क्यों नहीं आ रही? बिन बुलाये ख़यालों को धुतकारा तो है, सुस्त आँखों ने उसे बुलाया तो है, फिर जाने नींद क्यों नहीं आ रही? जिस्म के साथ मन को भी लिटाया तो है, करवटों को हौले से सहलाया तो है, फिर जाने नींद क्यों नहीं आ रही? ज़िन्दगी शायद कुछ ख़फ़ा तो है, मगर वक़्त ज़रा मुस्कुराया तो है, फिर जाने नींद क्यों नहीं आ रही?