ज़रूरी तो नहीं
ख ुश हूँ , बस इतना पता है , वजह समझना ज़रूरी तो नहीं टूटता है दिल तो टूटा करे , हर बात पे आँसूं बहाना ज़रूरी तो नहीं चलते चलेंगे हम भी , सहरा हो या नखलिस्तान , हर मोड़ पे मिले महखाना ज़रूरी तो नहीं कल भी तो लाएगा अपने हिस्से की ख़ुशी , आज पे हर दांव लगाना ज़रूरी तो नहीं लफ़्ज़ों से खिलवाड़ कर लेते हैं थोडा बहोत , हम भी ग़ालिब से शायराना हों ज़रूरी तो नहीं इमान - ओ - उम्मीद का साथ काफी है , खुश रहने को कोई और बहाना ज़रूरी तो नहीं