तस्सली

पलकों को झपका के आँसूं सुखाके,
आँखों में मुस्कराहट भरके,
बड़ी तस्सली मिलती है

एहसासों को लफ्जों में बदलके,
शेरों को पन्ने पे बिखेरके,
बड़ी तस्सली मिलती है

कमिओं के बीच थोड़ा सा बचाके,
अपनों में बांट के,
बड़ी तस्सली मिलती है

हसरतों को ख़्वाबों में सजाके,
कुछ देर पलकों में बैठा के,
बड़ी तस्सली मिलती है

किसी दुखते दिल को छूके,
उसमें थोड़ी उम्मीद भरके,
बड़ी तस्सली मिलती है

ज़रूरतों को दुआ में पिरोके,
ईमान को सीने से लगाके,
बड़ी तस्सली मिलती है

टिप्पणियाँ

सच कहा आपने, बेहतरीन पंक्तियाँ..
अरुन अनन्त ने कहा…
वाह बेहद सुन्दर लाजवाब प्रस्तुति.
आपकी यह रचना कल वृहस्पतिवार (20-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
बहुत सुंदर ... सटीक लिखा है
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