ज़रूरी तो नहीं

ुश हूँ, बस इतना पता है,
वजह समझना ज़रूरी तो नहीं

टूटता है दिल तो टूटा करे,
हर बात पे आँसूं  बहाना ज़रूरी तो नहीं  

चलते चलेंगे हम भी, सहरा हो या नखलिस्तान,
हर मोड़ पे मिले महखाना ज़रूरी तो नहीं
  
कल भी तो लाएगा अपने हिस्से की ख़ुशी,
आज पे हर दांव लगाना ज़रूरी तो नहीं
  
लफ़्ज़ों से खिलवाड़ कर लेते हैं थोडा बहोत,
हम भी ग़ालिब से शायराना हों ज़रूरी तो नहीं 

इमान--उम्मीद का साथ काफी है,
खुश रहने को कोई और बहाना ज़रूरी तो नहीं

टिप्पणियाँ

सच कहा, स्पष्ट कथन।
इमान-ओ-उम्मीद का साथ काफी है,
खुश रहने को कोई और बहाना ज़रूरी तो नहीं
बहुत खूब .....
लाजवाब
Manjusha negi ने कहा…
एक सुंदर भावपूर्ण रचना ...बेहतरीन
खुश रहने को कोई और बहाना ज़रूरी तो नहीं.

बेशक.

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अब बस हुआ!!

राज़-ए -दिल

वसुधैव कुटुम्बकम्