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ज़रूरी तो नहीं

ख ुश हूँ , बस इतना पता है , वजह समझना ज़रूरी तो नहीं टूटता   है   दिल   तो   टूटा   करे , हर बात पे आँसूं   बहाना ज़रूरी तो नहीं     चलते चलेंगे हम भी , सहरा हो या नखलिस्तान , हर मोड़ पे मिले महखाना ज़रूरी तो नहीं     कल भी तो लाएगा अपने हिस्से की ख़ुशी , आज पे हर दांव लगाना ज़रूरी तो नहीं     लफ़्ज़ों से खिलवाड़ कर लेते हैं थोडा बहोत , हम भी ग़ालिब से शायराना हों ज़रूरी तो नहीं   इमान - ओ - उम्मीद का   साथ काफी है , खुश रहने को कोई और   बहाना ज़रूरी तो नहीं
कभी लगता है टूट के बिखर न जाऊं कहीं, मगर यह तेरे रहम-ओ-करम की तौहीन होगी

तस्सली

पलकों को झपका के आँसूं सुखाके, आँखों में मुस्कराहट भरके, बड़ी तस्सली मिलती है एहसासों को लफ्जों में बदलके, शेरों को पन्ने पे बिखेरके, बड़ी तस्सली मिलती है कमिओं के बीच थोड़ा सा बचाके, अपनों में बांट के, बड़ी तस्सली मिलती है हसरतों को ख़्वाबों में सजाके, कुछ देर पलकों में बैठा के, बड़ी तस्सली मिलती है किसी दुखते दिल को छूके, उसमें थोड़ी उम्मीद भरके, बड़ी तस्सली मिलती है ज़रूरतों को दुआ में पिरोके, ईमान को सीने से लगाके, बड़ी तस्सली मिलती है