आओ
"चलो मिलके इन टुकड़ों में,
सांझी बुनियाद ढूंढे,
खुले आकाश के नीचे पुराने रिश्तों की
वो हर एक याद ढूंढे
गलतियां-कमीयां आम हो गयीं
आओ, कुछ ख़ास ढूंढे
सूखे पत्तों की तरह
क्यूँ बिखर जाएं?
शाख़ से तोड़ दें नाता
तो किधर जाएं?
जो टूटने लगी है
वो आस ढूंढे
एक-एक घर उठा के,
स्नेह की सिलाई पे,
बुन लेते हैं एक नया पहनावा
माफ़ी और भलाई से
नयी शुरुआत के लिये
एक नया लिबास ढूंढे
फर्क ही नहीं होता हममें गर
तो लज्ज़त कहाँ से आती?
सरगम कैसे सजती,
ये रंगत कहाँ से आती?
चलो, इन्ही फ़र्कों में कहीं,
एक से एहसास ढूंढे
एक दुसरे की ज़रूरतों को
समझने की ज़रुरत है
जो लाते है वापस, उन रास्तों पे
चलने की ज़रुरत है
आओ हम हंसी-ख़ुशी की पोटलियाँ
अपने आस-पास ढूंढे"
तस्वीरें: गूगल आभार
टिप्पणियाँ
स्नेह की सिलाई पे,
बुन लेते हैं एक नया पहनावा
माफ़ी और भलाई से
नयी शुरुआत के लिये
एक नया लिबास ढूंढे.... khyaal bura nahin
समझने की ज़रुरत है
जो लाते है वापस, उन रास्तों पे
चलने की ज़रुरत है
आओ हम हंसी-ख़ुशी की पोटलियाँ
अपने आस-पास ढूंढे"
काश हम इस भाव को सार्थक तरीके से अपनाने की कोशिश करते ...आपका आभार
वो हर एक याद ढूंढे
सुंदर चित्रों के साथ बढ़िया रचना...
बहुत देर से पहुँच पाया.....
चलने की ज़रुरत है
आओ हम हंसी-ख़ुशी की पोटलियाँ
अपने आस-पास ढूंढे"
सार्थक सन्देश देती पंक्तियाँ
hearty thanks,hamare follower bankar hamara margdarshan karen
स्नेह की सिलाई पे,
बुन लेते हैं एक नया पहनावा
माफ़ी और भलाई से
नयी शुरुआत के लिये
एक नया लिबास ढूंढेbahut saarthak.sikcha deti hui gahrai liye hue sunder rachanaa.badhaai sweekaren.
please visit my blog .thanks.
क्यूँ बिखर जाएं?
शाख़ से तोड़ दें नाता
तो किधर जाएं?
जो टूटने लगी है
वो आस ढूंढे
bhavpoorn abhivyakti.nice.
सूखे पत्तों की तरह
क्यूँ बिखर जाएं?
शाख़ से तोड़ दें नाता
तो किधर जाएं?
जो टूटने लगी है
वो आस ढूंढे
-अनवरत खोज...
its a nice blog
check out my blog also
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
मेरे पास शब्द नहीं है तारीफ़ करने के लिए.
आज ही यूरोप के टूर से लौटा हूँ.
आपकी सुन्दर प्रस्तुति पढकर मन प्रसन्न हो गया.
समझने की ज़रुरत है
जो लाते है वापस, उन रास्तों पे
चलने की ज़रुरत है
आओ हम हंसी-ख़ुशी की पोटलियाँ
अपने आस-पास ढूंढे" ...
बहुत सकारात्मक पोस्ट..बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
मेरा ब्लॉग- संशयवादी विचारक
badhai
rachana
आस का सहारा ही काफी है.....उसे नहीं खोना चाहिए...
सांझी बुनियाद ढूंढे,
खुले आकाश के नीचे पुराने रिश्तों की
वो हर एक याद ढूंढे
bahut sundar abhivyakti