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सीरिया!

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पिछले चार सालों से सीरिया में humanitarian crisis चल रहा है मगर हमारे world leaders हाथ पर हाथ रख कर बैठें हैं. अगर आप अपनी जान बचा कर अपने  देश से निकल आएं तो आपको शायद रिफ्यूज मिल जाए मगर गारंटी कोई नहीं है! UN Security Council की तरफ से आज तक कोई ठोस कदम नहीं लिया गया है. कितने शर्म की बात है की अन्याय बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय गहरी नींद सो रहा है…  यह कैसा जहाँ हैं, जहाँ  बिलखते बच्चोँ की आवाज़ पर कोई नहीं उठता? इतनी नींद के दिन के उजाले में भी, लुटती आबरुओं की आवाज़ पर कोई नहीं उठता!  सब सोये हैं मुख्तलिफ नशों में धुत्त, यहाँ गिरती लाशों की आवाज़ पर कोई नहीं उठता! आँख गर खुल भी जाए तो करवट बदल लेते हैं, मासूमों पे बरसती हुई गोलियों की आवाज़ पर कोई उठता!  नहीं जानते के यह आग हमारा घर भी जला सकती है, उस इलाक़े में जलते हुए शोलों की आवाज़ पर कोई नहीं उठता!  खौफ और लाचारी में हज़ारों बेघर हों तो हों, ढहते हुए मकानों की आवाज़ पर कोई नहीं उठता! दावा ये के रहनुमा हैं दुनिया भर के, मगर