ज़िन्दगी साँस लेती है
पिछले दिनों इतनी तबाही देखी की दिल दहल गया, कुदरत ने अपना तांडव एक बार फिर दिखाया और मौत ज़िन्दगी पे ग़ालिब होती नज़र आई, मगर ज़िन्दगी तो उस की अमानत है, वो है तो ज़िन्दगी है... यानि हमेशा के लिए...
ज़ख़्मी ज़मीं को फिर जीने की दुहाई देती है,
नाउम्मीदी की मुट्ठी से उम्मीद को
हौले से आगोश में लेती है,
"तू अगर सच है तो मैं भी एक सच हूँ",
मौत को धीमे से बता देती है
कभी कोपलों में, कभी किलकारियों में,
हलके से मुस्कुरा देती है
"चल बस कर अब, माफ़ कर दे"
यूँ ख़फा कुदरत को मना लेती है
कहती है, "खुदा है तो मैं हूँ,
उसकी हस्ती ही तो मुझको ज़िन्दगी देती है"
टिप्पणियाँ
और यह कहती कि
मगर ज़िन्दगी तो उस की अमानत है, वो है तो ज़िन्दगी है... यानि हमेशा के लिए...
तबाही के बाद भी ज़िन्दगी साँस लेती है
ज़ख़्मी ज़मीं को फिर जीने की दुहाई देती है,
नाउम्मीदी की मुट्ठी से उम्मीद को
हौले से आगोश में लेती है,
"तू अगर सच है तो मैं भी एक सच हूँ",
मौत को धीमे से बता देती है
कभी कोपलों में, कभी किलकारियों में,
हलके से मुस्कुरा देती है
"चल बस कर अब, माफ़ कर दे"
यूँ ख़फा कुदरत को मना लेती है
मौत को धीमे से बता देती है
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कहती है, "खुदा है तो मैं हूँ,
उसकी हस्ती ही तो मुझको ज़िन्दगी देती है"
आदरणीय अंजना जी
आपने बहुत सुन्दरता से जीवन की वास्तविकता को वयान किया है ..आपकी कविता बहुत सार्थक है ...आपका आभार
हलके से मुस्कुरा देती है
जी हाँ सच कहा जिन्दगी तो जिंदगी है, हलके से मुस्कुरा ही देती है... अच्छा सन्देश है ...आपका आभार
इस पर्यावरण में ही नहीं बल्कि हरेक चीज़ में फिर से संतुलन क़ायम करने का तरीक़ा इसके सिवा कुछ और नहीं है कि अब सामूहिक रूप से हरेक चीज़ को केवल अपने रब की नीति के अनुसार ही बरता जाय।
दयालु पालनहार अपनी वाणी क़ुरआन में यही बताता है और सुरक्षा देने के लिए अपने संरक्षण में बुलाता है ।
आईये , प्रभु के प्रति समर्पण कीजिए , अपने कल्याण के लिए।
ज़लज़लों और क़ुदरती तबाहियों के बारे में अल्लाह की नीति The punishment
मौत को धीमे से बता देती है
बहुत सुन्दर ...यूँ ही ज़िंदगी चलती रहती है ..
ज़ख़्मी ज़मीं को फिर जीने की दुहाई देती है,
सुंदर अभिव्यक्ति.
उसकी हस्ती ही तो मुझको ज़िन्दगी देती है"
bahut sundar.