बार-बार वही बात, बात को हल्का कर देती है
एहसासों का समंदर उनसे संभाला ना जाएगा,
इसलिए उसे दिल में संजोए रहते हैं
तूफान को लफ़्ज़ों की शकल देके,
बूंद-बूंद रिसते रहते हैं
होंठों को आराम दिया करते हैं,
कलम को थकाए रहते हैं
सीधी बात कहीं रिश्तों को घायल ना कर दे,
शायरी में पनाह लिए रहते हैं
कभी-कभी बार-बार वही बात, बात को हल्का कर देती है
अपनी दरख्वास्त को यूँ ख़ामोशी में डुबाए रहते हैं
आरज़ू है जिसकी दिल को,
उसे दोनों हाथों से लुटाये रहते हैं
इसलिए उसे दिल में संजोए रहते हैं
तूफान को लफ़्ज़ों की शकल देके,
बूंद-बूंद रिसते रहते हैं
होंठों को आराम दिया करते हैं,
कलम को थकाए रहते हैं
सीधी बात कहीं रिश्तों को घायल ना कर दे,
शायरी में पनाह लिए रहते हैं
कभी-कभी बार-बार वही बात, बात को हल्का कर देती है
अपनी दरख्वास्त को यूँ ख़ामोशी में डुबाए रहते हैं
आरज़ू है जिसकी दिल को,
उसे दोनों हाथों से लुटाये रहते हैं
टिप्पणियाँ
जारी रखिये ....
शुभकामनाये
शायरी में पनाह लिए रहते हैं
waah, bahut badhiyaa
उसे दोनों हाथों से लुटाये रहते हैं'
ये पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.
आप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
बधाई.
उसे दोनों हाथों से लुटाये रहते हैं
गहन भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर
डोरोथी.
कहिए...सुनिए...
कहते...सुनते...
बातों बातों में प्यार हो जाएगा...
ये गाना सुन लीजिए, फिर न कहेंगी कि बार बार वही बात, बात को हल्का कर देती है...
जय हिंद...
बूंद-बूंद रिसते रहते हैं
सीधी बात कहीं रिश्तों को घायल ना कर दे,
शायरी में पनाह लिए रहते हैं
वाह वाह गुडिया बिलकुल सही कहा। बहुत उमदा रचना है। आशीर्वाद।
कलम को थकाए रहते हैं
सीधी बात कहीं रिश्तों को घायल ना कर दे,
शायरी में पनाह लिए रहते हैं
कभी-कभी बार-बार वही बात, बात को हल्का कर देती है
अपनी दरख्वास्त को यूँ ख़ामोशी में डुबाए रहते हैं
bohot bohot hi khoobsurat lines....just simply awesome :)