बड़ी कमाल चीज़ हैं हमारी आँखें!
कितनी भी कोशिश करूँ, दूसरों की गलतियाँ ज़्यादा नज़र आतीं हैं और अपनी कम. अगर यूँ ही वक़्त बर्बाद करती रही तो एक दिन वक़्त ख़त्म ही हो जाएगा और जाने का वक़्त आ जाएगा, वक़्त रहते सुधर जाऊं तो अच्छा...
बड़ी कमाल चीज़ हैं हमारी आँखें,
बक्श दें किसी को, बिलकुल नहीं,
कुछ ज़रुरत से ज़्यादा देखती हैं,
और कुछ बिलकुल नहीं,
ज़रा ज़रा सी गलतियां
दिखती हैं सबकी,
नज़र रहती हर
कमजोरी पे उनकी
कभी अपने गिरेबान में झांकें...?
अरे, बिलकुल नहीं!
यह आधा अंधापन,
अजीब किस्म का मर्ज़ है,
दूसरों में बुराई देखना,
यह समझें, इनका फ़र्ज़ है,
इन आखों को समझाना आसान नहीं,
जी, बिलकुल नहीं!
खुल जाएं ये
बंद होने से पहले,
खुदा का नूर
ज़रा इन्हें छूले,
वरना बहशत में दाखला...?
ना, बिलकुल नहीं!
बड़ी कमाल चीज़ हैं हमारी आँखें,
बक्श दें किसी को, बिलकुल नहीं,
कुछ ज़रुरत से ज़्यादा देखती हैं,
और कुछ बिलकुल नहीं,
सड़क चलते, त्योरियां चड़ा लेती हैं,
रास्ते का कूड़ा जब दिखता है,
पर जो गन्दगी हम फैकें,
उससे इन्हें कहाँ फर्क पड़ता है?
हमारे कचरे में बदबू...?
अजी, बिलकुल नहीं!
ज़रा ज़रा सी गलतियां
दिखती हैं सबकी,
नज़र रहती हर
कमजोरी पे उनकी
कभी अपने गिरेबान में झांकें...?
अरे, बिलकुल नहीं!
यह आधा अंधापन,
अजीब किस्म का मर्ज़ है,
दूसरों में बुराई देखना,
यह समझें, इनका फ़र्ज़ है,
इन आखों को समझाना आसान नहीं,
जी, बिलकुल नहीं!
खुल जाएं ये
बंद होने से पहले,
खुदा का नूर
ज़रा इन्हें छूले,
वरना बहशत में दाखला...?
ना, बिलकुल नहीं!
टिप्पणियाँ
अजीब किस्म का मर्ज़ है,
और शायद हम इसी आधे अन्धेपन को अपनाये हुए हैं. आँखों का तिलिस्म वाकई तिलस्मी है.
नज़र, नजरिया दोनों कमतर,
ऐब आँखों का ?
हजूर, बिलकुल नहीं !
हास्य, व्यंग्य , कटाक्ष का बढ़िया मिश्रण, लिखते रहिये ...
मेरे ब्लॉग पर इस बार
एक और आईडिया....
बंद होने से पहले,
खुदा का नूर
ज़रा इन्हें छूले,
वरना बहशत में दाखला...?
ना, बिलकुल नहीं!
-इतना अहसास हो जाना ही बहुत है...बहुत बेहतरीन!
भरे भवन में करत हैं, नैनन हीं सो बात।
बंद होने से पहले,
ख़ुदा का नूर
ज़रा इन्हें छू ले,
वरना बहिश्त में दाख़िला...?
ना, बिलकुल नहीं!
रचनात्मक पंक्तियाँ हैं. सुंदर लेखन.
दिखती हैं सबकी,
नज़र रहती हर
कमजोरी पे उनकी
कभी अपने गिरेबान में झांकें...?
अरे, बिलकुल नहीं ....
सच है अपने अंदर कोई नही झाँकना चाहता .... दूसरों की बुरआइएन तो बंद आँखों से भी देख लेते हैं सब ...