इंसानियत और अमन


  1. दूर कहीं शोर सुनाई देता है
  2. उसकी तख्लीक़ को तेरे-मेरे में बांटते रहते हैं

  3. नए दिन के साथ नई शुरुआत की जाए
  4. इल्म की रस्साकशी

  5. इंसानियत की ज़मानत की जाए

  6. नाराज़गी जितनी दिल में रखी जाए, उतनी ही भारी हो जाती है

  7. गरीबी गरीब की किस्मत है या समाज की ज़रुरत?

  8. चल उठ, ज़िन्दगी, चलते हैं! -2

  9. चल उठ, ज़िन्दगी, चलते हैं

  10. अरुंधती जी, और सरहदें?

  11. जी करता है

  12. बड़ी कमाल चीज़ हैं हमारी आँखें!

  13. माफ़ी को पनपने क्यूँ नहीं देते

  14. टूटेगा नफरत का शिकंजा

  15. कोई ऐसी टीचर दीदी होती, काश!

  16. ऐ इंसानियत, तुझे मेरी परवाह ही नहीं!

  17. अपनी ना जात एक है ना धर्म एक

  18. कभी साथ बैठें तो हमदिली से बातें हों

  19. कुछ लोगों की जिद्द खेल रही हाजारों की जान से

  20. काश कोई ऐसा साबुन होता

  21. खुदा से डरो, खुदा के नाम पे लड़ने वालों

  22. एक ज़िद्दी ख़्वाब

  23. स्वतंत्रता दिवस पे एक सादा सा सवाल और वही पुराना सन्देश

  24. नाम सुन कर, मज़हब जानने की कोशिश क्यों किया करते हैं?

  25. एक दुसरे से नाराज़ हो कर, कब मसले हल हुआ करते हैं?

  26. अमन बसता है उसकी पनाहों में







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