नहीं शिकायत किसी मज़हब से मुझे,
बस कोई खुदा को अपनी जागीर न समझे,
हर इंसा को जिसने बनाया,
उसे बस अपनी बातों-ओ-किताबों में ही हाज़िर न समझे 


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