तू सही है, सुन!

सुन अपने मन की धुन,
तू सही हैसुन!

उड़और ऊपर उड़,
चिड़ियों के संग कर गुन-गुन!

पर्दों--दीवारों के बाहर,
आसमानों के सपने बुन

तेरी नज़र हो तेरा नज़राना,
तू ख़ुद बन अपना शगुन!

झिझक और शर्म बहुत हुई,
उठअपना रास्ता चुन

सलाह दस दें और उँगली बीस उठाएँ,
मदद को सब आवाज़ें सुन्न

झुकना है तो उसके क़दमों में झुक,
एक वो ही जाने पाप और पुन!

ना कर सवाल दिल की आवाज़ पर,
धड़कन की हार ताल को ध्यान से सुन!

सुन अपने मन की धुन,
तू सही हैसुन!

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टिप्पणियाँ

झिझक और शर्म बहुत हुई,
उठ, अपना रास्ता चुन...
बहुत सुंदर सकारात्मक भाव
बहुत सुंदर, बहुत अच्छी, बहुत सही, बहुत प्रेरक रचना । नेत्र खोल देने वाली ।

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