फ़ूले गाल
मेरे दिल के टुकड़े,
जब तू गुस्से से फूल के गुप्पा हो जाता है,
तो सीने में बड़ा दर्द होता है,
हाँ, ये बात और है
के तेरे फ़ूले गाल और भी प्यारे लगते हैं,
मगर, कभी-कभी यह दर्द सोने नहीं देता,
आदत ही नहीं है ना,
तुझ से दर्द पाने की,
बचपन से लेकर आजतक,
बस प्यार ही मिला है तुझसे,
तेरा बस चले तो मेरे रास्ते का
एक-एक काँटा हटा दे,
मगर गुड्डू, एक काँटा पैर में नहीं
दिल फँस गया है,
तेरे गुस्से का काँटा,
बहुत दर्द होता है,
वक़्त-बे-वक़्त तुझे सोचती हूँ,
सबसे छुपाके आँसू पोछती हूँ,
समझती हूँ तेरे गुस्से की वजह को,
मगर हर चीज़ की एक उम्र होती है,
तू दर्द छिपाता तो है,
पर छिपा नहीं पाता,
तेरा दर्द, चोरी-छिपे सात समंदर पार,
यहाँ मेरे दिल तक आता है…
बेटू, खोल दे अब मुठ्ठी, कर दे माफ़ सबको,
माफ़ी की ताज़ी हवा में सब नाराज़गी बह जाने दे…
तेरे हीरे से दिल में सिर्फ अब मोहब्बत रह जाने दे.…
गुस्से से बनी दीवारें सब ढह जाने दे…
तेरे गोल-गप्पे से गाल प्यारे लगते हैं,
मगर तेरी हंसी और भी प्यारी लगती है!
जब तू गुस्से से फूल के गुप्पा हो जाता है,
तो सीने में बड़ा दर्द होता है,
हाँ, ये बात और है
के तेरे फ़ूले गाल और भी प्यारे लगते हैं,
मगर, कभी-कभी यह दर्द सोने नहीं देता,
आदत ही नहीं है ना,
तुझ से दर्द पाने की,
बचपन से लेकर आजतक,
बस प्यार ही मिला है तुझसे,
तेरा बस चले तो मेरे रास्ते का
एक-एक काँटा हटा दे,
मगर गुड्डू, एक काँटा पैर में नहीं
दिल फँस गया है,
तेरे गुस्से का काँटा,
बहुत दर्द होता है,
वक़्त-बे-वक़्त तुझे सोचती हूँ,
सबसे छुपाके आँसू पोछती हूँ,
समझती हूँ तेरे गुस्से की वजह को,
मगर हर चीज़ की एक उम्र होती है,
तू दर्द छिपाता तो है,
पर छिपा नहीं पाता,
तेरा दर्द, चोरी-छिपे सात समंदर पार,
यहाँ मेरे दिल तक आता है…
बेटू, खोल दे अब मुठ्ठी, कर दे माफ़ सबको,
माफ़ी की ताज़ी हवा में सब नाराज़गी बह जाने दे…
तेरे हीरे से दिल में सिर्फ अब मोहब्बत रह जाने दे.…
गुस्से से बनी दीवारें सब ढह जाने दे…
तेरे गोल-गप्पे से गाल प्यारे लगते हैं,
मगर तेरी हंसी और भी प्यारी लगती है!
टिप्पणियाँ
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