मेरी दुआ
इतनी इनायत हो जाए, मेरे हुज़ूर,
इन आँखों में बस जाए छवि तुम्हारी,
फिर जिसे देखूँ , तुम्हे देखूं,
जहाँ देखूँ , सूरत हो बस तुम्हारी!
इतनी गुज़ारिश है, मेरे मौला,
चढ़ जाए यूँ नशा तुम्हारा,
के दिन हो या रात हो,
इतनी सी दरख़्वास्त है, मेरे रब,
रह पाऊँ क़दमों में तुम्हारे,
डोलूँ कहीं भी फिर दुनिया में,
पड़ी रहूं हरदम दर पे तुम्हारे!
इतनी दुआ है, मेरे बादशाह,
सर सवार हो जाए धुन तुम्हारी,
कोई साज़ हों, कोई अंजुमन,
थिरकुँ मैं बस तान पे तुम्हारी!
इतनी बिनती है, रहमवाले,
ग़ालिब हो जाए मोहब्बत तुम्हारी,
फिर कोई मसला हो, कोई मुश्किल,
हर फैसला दिल का भीगा हो उल्फत में तुम्हारी!
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