मेरा हाल

मुस्कुराती रहूंगी, सब झेल जाऊँगी,
बस मेरा हाल मत पूछना, बिखर जाऊँगी।

हर पर्वत हिम्मत से चढ़ जाऊंगी,
मुझे गले न लगाना, सिहर जाऊंगी।

उजालों में गाऊँगी, मुस्कुराऊँगी,
आह भरने मगर, अंधेरें हों जहाँ उधर जाऊंगी।

मैं टूट-टूट कर फिर जुड़ जाऊंगी,
कैसा भी  मिले, पी हर कोई ज़हर जाऊँगी।

रुक- रुक कर सही, आगे बढ़ती जाऊँगी,
किस्मत में चाहे अभी भटकना है, कभी तो घर जाऊँगी !


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अब बस हुआ!!

राज़-ए -दिल

वसुधैव कुटुम्बकम्