कुदरत के सलीके

बदल और नदी अच्छे लगते हैं,
अपनी धुन में चलते हैं, मगर
अपनी मंज़िल नहीं हैं भूलते।

https://www.istockphoto.com/gb/photos/orange-sunset-over-river?excludenudity=true&sort=mostpopular&mediatype=photography&phrase=orange%20sunset%20over%20river

बाग़ में पेड़ अच्छे लगते हैं,
मस्त हवा में झूमते हैं, मगर
अपनी जड़ों से हैं जुड़े रहते।

https://stockarch.com/images/nature/plants/grove-tall-palm-trees-6000

चीं-चीं करते पंछी अच्छे लगते हैं,
सारे एहसास चहचहाते हैं, मगर
एक दूसरे से मिलके रहते।

https://catherinejonapark.wordpress.com/2015/06/13/the-chirping-of-birds/

घांस में ये जुगनू अच्छे लगते हैं,
स्याह अंधेरों में घूमते हैं, मगर 
बूँद-बूँद  रौशनी बांटते फिरते।

https://www.jsonline.com/story/news/local/wisconsin/2017/07/15/huge-summer-fireflies/465234001/

यह बारिश के छींटे अच्छे लगते हैं,
बादलों की उँचाईओं में रहते हैं, मगर 
प्यास बुझाने ज़मी पे बरसते।

https://phys.org/news/2015-03-soil-moisture.html

काश हम भी सीख जाते,
कुदरत के सलीके,
खुद के लिए नहीं, औरों के लिए जीते। 


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