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जाने दो

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क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो, क्यों किस्मत से लड़ते हो? जाने दो... फिर हिंदुस्तान को तरसोगे , फिर यादों के जंगल में भटकोगे, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? क्यों वक़्त अपना ज़ाया करते हो, क्यों वही पुरानी ख़्वाहिश करते हो जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? बारिश में फिर अपनी मट्टी की खुशबू ढूँढोगे, बूँदों की आड़ में खुद भी धीरे-धीरे बरसोगे, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? फिर खलेगा गैर-ज़बान में बतियाना, जज़्बातों का अंग्रेजी से आँख चुराना, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? फिर माँ की रसोई बुलाएगी, फिर पिज़्ज़ा की शकल रुलाएगी, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? हथेली में भाई की उँगलियाँ याद आएँगी, खाली-पीली फिर आँखें भर आएँगी, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? वो दिल्ली जो बस्ती है यादों में, अब नहीं है, वो जादू, वो दौर, वो लम्हें, अब नहीं हैं, जाने दो, क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो? हाँ, यादों की धूल आज भी सड़कों पे पड़ी होगी, हर मोड़ पे माज़ी की

मेरी दुआ

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2016 आप सभी के लिए मंगलमय हो और ईश्वर से मेरी यही प्राथना है हम सबको अपनी उपस्थिति से भर दे।  आप जो भी हैं, जैसे भी हैं, किसी भी धर्म के मानने वाले हैं, वो आपको बहुत प्रेम करता है। पूरे विश्वास के साथ उस की ऒर देखें, वो आपको अपनी शान्ति से भर देगा। खुश रहें और खुश रखें! :-) :-) तुझे सोचूं, तुझे देखूं, तुझे ढूढूं, तुझे पाऊँ। तू मंज़िल हो हर क़दम की हर मुकाम पे तुझे पाऊँ। होंगे और भी खूबसूरत मज़मून, मैं बस तुझे गुनगुनाऊँ। तेरी रहमत हो जाए तो, मैं भी तेरे काम आऊँ। अमन की कोशिशों में, मैं भी हिस्सा बन पाऊँ।   फोटो: गूगल  लाया है जिसके लिए मुझे यहाँ, उस मकसद को पूरा कर जाऊँ। कुछ और नहीं, बस ईमान माँगू तुझसे, तेरा ही चेहरा ताकूँ जब-जब घबराऊँ। मुश्किल में हूँ या मज़े में, मैं हर बात में शुक्र मनाऊँ।   ज़िन्दगी का कोई सफर हो, तेरे पीछे-पीछे चली आऊँ। कोई भी, कहीं भी मिले, हर चेहरे में तुझे पाऊँ।  बस तुझे सोचूं, बस तुझे देखूं, बस तुझे ढूढूं, बस तुझे पाऊँ।