परिचय
दिल बैठ सा रहा है, ख़ुशी का मौका है, मगर कुछ टूट सा रहा है, अपनी मट्टी से रिश्ता कुछ छुट सा रहा है, क्या सचमुच मैं यह कर रही हूँ? क्या सचमुच यह हो रहा है? कब ज़िन्दगी यहाँ तक ले आई? वो पहला कदम जो लिया था अपने आप को ढूंढने के लिए, यहाँ तक ले आया… क्या पा लिया अपने को? क्या यह मेरा नया परिचय है? हाँ, शायद यही हूँ मैं, आज एक हिंदुस्तानी अमेरिकन। क्या हिंदुस्तान के लिए अब मेरे दिल में जगह कम हो जाएगी? क्या दिल्ली मेरे दिल से अब कुछ दूर हो जाएगी? हाँ, ये पक्का है के, अमेरिका से रिश्तेदारी और बड़ जाएगी। मगर दिल्ली, तू मेरे दिल में यूँ ही धड़का करेगी, मेरा कोई नया परिचय यह नहीं झुटला सकता के मेरा जन्म भारत में हुआ। मगर मेरी नियति में ही था, सरहदों को लांगना, मानसिक, सामजिक, भूगोलिक सरहदों को लांगना, हाँ, यही मेरा बुलावा है, सरहदों के पार रिश्ते बनाने का, प्यार बांटने और प्यार पाने का। मैं ईमानदार रहूंगी धरती माँ की, इंसानियत की, चाहे दुनिया