कभी लगता है यहीं मंज़िल है, कभी मंज़िल दूर तक नज़र नहीं आती… मानो मंज़िल ना हुई खुदा हो गयी...

टिप्पणियाँ

Rakesh Kumar ने कहा…
पर खुदा तो कहीं दूर नही अंजना जी.
खुदा ही यदि मंजिल हैं,तो वह तो हर
समय गोद में लिए हुए है हमें.

हम ही नजर फेरे रखें तो वह क्या करे जी.
मंज़िल मिलने के बाद फिर एक नयी तलाश ...यही ज़िंदगी है
Bharat Bhushan ने कहा…
इसी लिए तो कहा जाता है कि वो है पर दिखता नहीं क्योंकि वह आँखों में रहता है.

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