भाई

तेरी आँखों में आंसूं भी देखें हैं,
और उनमें मुस्कराहट भी देखी है,
दोनों तोड़ देतें हैं तेरी आखों के बांध
और बहा लातें है बड़ी शिद्दत से तेरे जज़्बे को


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तेरी बातें भी सुनी हैं,
तेरी चुप्पी भी सही है,
जब तू कहता है तो कहता है
जब नहीं कहता तो बहुत कुछ कहता है


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वो बचपन का दिन-रात का साथ भी जिया है,
और सालों से सात समंदर की दूरी भी जी है,
तेरे दिल के दर्द को अपनी आँखों में पाया है
मेरे दिल के बोझ को तेरे कन्धों पे पाया है 



टिप्पणियाँ

Bharat Bhushan ने कहा…
जीवन के सुख-दुख की राह पर भाई-बहन का यह रिश्ता समानांतर चलता है. रिश्ते सी ही ख़ूबसूरत है यह नज़्म.
सदा ने कहा…
तेरी बातें भी सुनी हैं,
तेरी चुप्पी भी सही है,
जब तू कहता है तो कहता है
जब नहीं कहता तो बहुत कुछ कहता है
भावमय करते शब्‍द ...
इस प्यारे रिश्ते कों भूल नहीं पाता इंसान जीवनभर ...
M VERMA ने कहा…
यह रिश्ता है ही कुछ ऐसा
कोमल भावनायें व्यक्त करती रचना..
Rakesh Kumar ने कहा…
बहिन के भाई के प्रति स्नेह और प्यार के
अनमोल भावों को बहुत सुंदरता से अभिव्यक्त किया है आपने.

आप जैसी वात्सल्यमयी बहिन नसीब वाले ही पाते हैं.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (17-07-2012) को चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत सुंदर !
अंजना ने याद दिला दिया आज फिर हमें
हम भी भाई है बहन से मिला दिया हमें
रिश्ता ही ऎसा है कि जो कहा जाये कम है
गागर में सागर मिला कर बहा दिया हमें ।
भाई - बहन का रिश्ता ऐसा
जो हर सुख - दुःख आपस में बाँटे
एक के राहों का काँटा
दूजा अपने हाथों से छाँटे

भाई बहन का रिश्ता ही कुछ ऐसा है .....
सुंदर अभिव्यक्ति !!

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