मेरी खुदगर्ज़ी
So the other day, as we were finishing supper, my husband asked me if I wanted to know how I looked. After a tiring day at work and being at the road for an hour, I knew I looked tired and shabby. I smiled and hoped he wouldn’t tell me what he thought. However, he got up and went to our backyard and brought a beautiful rose and said, “You look like this”.
Photo by Joe Prewitt |
ऐसे हमसफ़र के लिए, यह एहसास-ओ-लफ्ज़ खुद-ब-खुद उभर आते हैं...
होठों पे तेरे लिये दुआ होती है
मेरी खुदगर्ज़ी यूँ बयाँ होती है
तेरी खैरियत है मेरा खज़ाना
तेरी मुस्कराहट मेरी ख़ुशी का निशाँ होती है
जब-जब तेरे क़दमों के निशाँ साथ नहीं होते
मंजिल पे पहुँच के भी मंजिल हासिल कहाँ होती है
चाँद आ जाए हाथ या मुट्ठी में हो ख़ाक
तेरे होने से हर हक़ीकत एक दिलचस्प दास्ताँ होती है
उसकी रहमत और तेरा साथ काफी है
फिर कोई फिक्र हो, बस लम्हों में फ़ना होती है
सालों का साथ है फिर भी, जब-जब नज़र मिलती है
मोहब्बत एक बार और जवाँ होती है
टिप्पणियाँ
ईश्वर आपका प्रेम दिन दूना रात
चौगना बढाए.एक दूसरे में बस
उसी की ही सूरत नजर आये.
आभार.
के रूप में बस आप ही आप नजर आ रहीं हैं.
उस गुलाब का आभार,जो आपको आपके
पति देव ने दिया.
फिर कोई फिक्र हो, बस लम्हों में फ़ना होती है
waah
मोहब्बत एक बार और जवाँ होती है
...अप्रतिम भावपूर्ण प्रस्तुति..
आशा
मेरी खुदगर्ज़ी यूँ बयाँ होती है...
बढ़िया प्रस्तुति...
सादर..
मासूम जी के ब्लॉग पर सुनी.
हृदय आनंदित हो गया.
मैंने उनको आपकी एक ओर पुरानी कविता का लिंक दिया है,जो आपने मुझे काफी समय पूर्व मेरी मेल पर भेजा था.
आप अर्चना जी की आवाज में उसे सुनवाएं तो यह मेरा सौभाग्य होगा.
समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.
मैं अपनी हर पोस्ट पर आपका इंतजार करता हूँ.
मेरे ब्लॉग के लिए क्लिक करे Japan Tsunami
अहा ऽऽ … ! प्यारी रचना है , आभार !
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
मोहब्बत एक बार और जवाँ होती है....
सुन्दर प्रस्तुति...