इंतज़ार, अँधेरा और अकेलापन

आज कुछ फर्क तर्ज़ पे लिखा है... बड़े दिन से कोई ब्लॉग पे नहीं आता... आतें भी हैं तो बिना कुछ कहे चले जाते हैं... आप सब की कमी को यहाँ लफ़्ज़ों में बुन दिया...

कभी महफ़िल हुआ करती थी यहाँ,
अब सब है धुआं-धुआं,

इंतज़ार, अँधेरा और अकेलापन
बसता है अब यहाँ 

किसी की आहट, कोई दस्तक,
किसी का आना, कहाँ होता है अब यहाँ

शायद इस कुँए में वो मिठास ही नहीं रही  
के कोई प्यासा रुकता यहाँ 

बस बेरंग पर्दों से खेलती है हवा आजकल,
शमा कहाँ जलती है अब यहाँ

साज़ खामोश ही रहते हैं अक्सर,
मोसिक़ी-ए-ख़ामोशी बजती है अब यहाँ 

सब कद्रदान हो गए रुख्सत रफ्ता-रफ्ता
उम्मीद फिर भी घर बनाये बैठी है यहाँ 

वो गलीचे-ओ-कालीन तो फ़ना हो गए
आनेवालों के लिए नज़रें आज भी बिछीं हैं यहाँ 

टिप्पणियाँ

सही है
एक दौर आता ही है ऐसा
vandana ने कहा…
क्या खुब लिखा है ,
आज कहाँ है लोगो को अमराई के छाव का अहसास .....
झूले बाग़ में खुद ही हवाओं से अनकही कहतें है .....
और गालिब की हवेली में शायरी खुद वाह-वाह करती है
mridula pradhan ने कहा…
bahot 'mithaas' hai yahan.
दस्तक देने के लिए हाजिर हैं ....:):)
Rakesh Kumar ने कहा…
अंजना जी जबसे ब्लॉग जगत में आया हूँ,आप मेरी प्रेरणा स्रोत रहीं हैं .आपकी निर्मल भावों से ओतप्रोत निश्छल अभिव्यक्तियां हमेशा मेरे मन को आकर्षित करतीं हैं. यह मेरा दुर्भाग्य ही होगा यदि मैं आपके ब्लॉग पर न आ पाऊं.
Kailash Sharma ने कहा…
कमाल की प्रस्तुति...बहुत भावपूर्ण
Rajesh Kumari ने कहा…
bahut behtreen andaaj me apne bhaavo ko pesh kiya hai aapne.main to pahli bar aapke blog par aai hoon,achcha laga aapko follow bhi kar rahi hoon.saath hi mere blog par aane ke liye aamantrit bhi kar rahi hoon.aabhar.
aisa kuchh bhi nahin hai, kabhi rahi bhatak jate hain aur gujar jate hain paas se, bas pahchan nahin pate hain ya phir na pahachanane ka natak karte hain.

aisa daur aate rahate hain. mahfil sajegi to jaroor aayenge. vo kabhi badrang nahin hoti.
Vikas Goyal ने कहा…
अंजनाजी, बहूत खूब. आपका लिखने का अंदाज हमें भा गया.
सब कद्रदान हो गए रुख्सत रफ्ता-रफ्ता
उम्मीद फिर भी घर बनाये बैठी है यहाँ

उम्मीद है आप इसी तरह लिखते रहेंगे. जिओ और लिखो दिलसे. हमारी शुभकामनायें आप के साथ है.

http://vpgoyal.blogspot.com/
http://dream-mantra.blogspot.com/
http://greenandspice.blogspot.com/
Udan Tashtari ने कहा…
सब कद्रदान हो गए रुख्सत रफ्ता-रफ्ता
उम्मीद फिर भी घर बनाये बैठी है यहाँ

-आप बस लिखते चलें...होता है ऐसा दौर...आजकल एग्रीगेटर्स के आभाव में कुछ आवा जाही सभी तरफ कम है लेकिन लिखना ज्यादा जरुरी है हर हाल में....अनेक शुभकामनाएँ.
Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
कल 28/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सदा ने कहा…
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…
क्या खूब कही आपने...
सुन्दर...
सादर...

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अब बस हुआ!!

राज़-ए -दिल

वसुधैव कुटुम्बकम्