Good Morning :-)

उठते ही वही दो-चार काम करता है,
भूख लगे तो मीठा या नमकीन ढूँढता है,
दुनिया के किसी कोने में हो या किसी जामे में 
हर इंसान थक कर सो जाता है,

प्यासे को पानी याद आता है,
जब गुज़र जाए तो बचपन याद आता है,
काइनात में कहीं बसेरा हो जाए,
वो पहला घर याद आता है 

आँखों में वही खारा पानी भर आता है,
जब दिल का गम हद से बड़ जाता है
कोई मज़हब हो या कोई ज़बान
ख़ुशी में हर कोई मुस्कुराता है

ज़ख्म ज़रा गहरा हो तो सुर्ख़ हो जाता है 
आहट-ऐ-महबूब पे हर दिल ठिटक जाता है 
फ़ारसी बोले या फ़्रांसिसी,
धूप में ठहर जाए तो पसीने में भीग जाता है
  

मगर इंसान यह सब भूल जाता है 
जब अपनों ही पे जोर आज़माता है,
छोटे-छोटे बे-मतलब के फ़र्कों में
कभी बेख़बरी तो कभी मक्कारी छिपाता है 

बेवकूफी की हद से गुज़र जाता है,
जब खुदा को अपनी जागीर समझ लेता है
और वो है की फिर भी माफ़ कर देता है,
हर दस्तक पे दरवाज़ा खोल देता है 

समझदार को इशारा काफी होता है,
जब जागो तभी सवेरा होता है  
माफ़ी और प्यार भरे दिल से देखें 
तो सिर्फ समानता का एहसास होता है 
फोटो: गूगल 


टिप्पणियाँ

आदरणीय अंजना जी
नमस्कार !
कोमल भावों की शानदार कविता ने मन मोह लिया.
बहुत सुन्दर कविता..........दिल को आनन्दित करती हुई पंक्तियाँ!
आप से अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है बहुत सुंदर
एक बेहतरीन अश`आर के साथ पुन: आगमन पर आपका हार्दिक स्वागत है.
Rakesh Kumar ने कहा…
समझदार को इशारा काफी होता है,
जब जागो तभी सवेरा होता है
माफ़ी और प्यार भरे दिल से देखें
तो सिर्फ समानता का एहसास होता है

बहुत सही कहा आपने जब जागो तभी सवेरा होता है.हर क्षण उसकी याद दिलाता है.असली बात तो दिल की ही है.प्यार और माफ़ी ईश्वरीय गुण है.
आपकी पवित्र,सुन्दर भावनाओं को प्रणाम.
Kanta Dayal ने कहा…
bahyt achha likha jab jago sawera he .kash aj hi vo sawera ho mere bachhon ke liye.ajhi vo udhdhar ka din ho.amen and amen .god bless u.
ज़ख्म ज़रा गहरा हो तो सुर्ख़ हो जाता है
आहट-ऐ-महबूब पे हर दिल ठिटक जाता है
फ़ारसी बोले या फ़्रांसिसी,
धूप में ठहर जाए तो पसीने में भीग जाता है
bahut hi badhiyaa
सहज दिखती समानता, पहचानना कितना कठिन। बड़ी सुन्दर कविता।
vandana gupta ने कहा…
एक बेहद उम्दा रचना ज़िन्दगी के फ़लसफ़े बयां करती हुयी दिल को छू गयी।
'कोई मज़हब हो या कोई जबान

ख़ुशी में हर कोई मुस्कुराता है '

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आपसी भेद को मिटाने और आपसी प्रेम -भाईचारा बढ़ाने का सन्देश देती सुन्दर रचना
समझदार को इशारा काफी होता है,
जब जागो तभी सवेरा होता है
माफ़ी और प्यार भरे दिल से देखें
तो सिर्फ समानता का एहसास होता है

बहुत सुन्दर प्रेरणादायक प्रस्तुति...
अंजना जी
सस्नेह अभिवादन !

बहुत अच्छा लिखा आपने -
समझदार को इशारा काफी होता है,
जब जागो तभी सवेरा होता है
माफ़ी और प्यार भरे दिल से देखें
तो सिर्फ समानता का एहसास होता है


सुंदर रचना के लिए आभार !

* हार्दिक शुभकामनाएं ! *

- राजेन्द्र स्वर्णकार
अंजना जी
सस्नेह अभिवादन !

बहुत अच्छा लिखा आपने -
समझदार को इशारा काफी होता है,
जब जागो तभी सवेरा होता है
माफ़ी और प्यार भरे दिल से देखें
तो सिर्फ समानता का एहसास होता है


सुंदर रचना के लिए आभार !

* हार्दिक शुभकामनाएं ! *

- राजेन्द्र स्वर्णकार
अंजना जी
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
ज़िंदगी के फलसफे को बयाँ करती अच्छी रचना
Udan Tashtari ने कहा…
समझदार को इशारा काफी होता है,
जब जागो तभी सवेरा होता है


-एक संपूर्ण दर्शन....ओशो याद आ गये.

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