दिल

जब दिल दुखी होता है,
तो बड़ा बुरा लगता है,
दिल करता है
दिल को हाथ में लेके सहलाऊँ,
प्यार से कहूँ, 'सब्र कर'
दर्द हल्का हो जाएगा 
फिर धीरे-धीरे थपकाऊँ,
सुला दूँ थोड़ी देर अपनी हथेली पर,
मगर सीने में नहीं सोता 
तो हथेली पे सो पाएगा, पता नहीं,
शायद कोई मरहम हो
जो लगा दूँ इसे, 
बड़ा अँधेरा है इन दिनों इसमें
रौशनी में ले जाऊं इसे, 
ले जाऊं  उसके पास,
रख दूँ उसके पैरों में,
कहूँ, छुले इसे, 
पूछूं, यह दर्द मुझसे तो कम नहीं होता,
तू कर पाएगा?
फिर याद आया उसने कहा था
"मोहब्बत के पेड़ पर
दर्द के फल लगते हैं
मेरे दिल में भी बहुत दर्द है,
इस जहाँ का, 
हर इन्सां का,
जब भी कोई आंसू कहीं गिरता है,
मेरा दिल भी रोता है"
अब सोच रही हूँ,
पहले अपना दिल सहलाऊँ,
या उसका?

टिप्पणियाँ

कोमल अहसासों से परिपूर्ण एक बहुत ही भावभीनी रचना जो मन को गहराई तक छू गयी ! बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जब भी कोई आंसू कहीं गिरता है,
मेरा दिल भी रोता है"
अब सोच रही हूँ,
पहले अपना दिल सहलाऊँ,
या उसका?
komal ehsaason se utha prashn ... kya jawaab hoga , jab dil hi aisa hai
प्रसन्न रह कर ही प्रसन्नता बिखेरी जा सकती है।
Deepak Saini ने कहा…
बहुत गजब की अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
vandana gupta ने कहा…
अब सोच रही हूँ,
पहले अपना दिल सहलाऊँ,
या उसका?

दूसरे का सहला कर ही खुद के दिल को भी राहत मिलती है।
Rakesh Kumar ने कहा…
वंदनाजी ने जो कहा सच कहा.'दूसरों के दिल को सहला कर खुद के दिल को भी राहत मिलती है.'
दिल तो परमात्मा की नियामत है.दिल ही में तो परमात्मा बसता है.'जब जरा नजरें झुकाई,देखली तस्वीरे यार.' दींन दुखियों की सेवा में आप तो नित ही परमात्मा के दर्शन कर रहीं हैं.
Bharat Bhushan ने कहा…
दिल का माजरा है ही कुछ ऐसा. दूसरों का दिल सहलाते रहो. अपना दिल अपने पास कभी न रखो, किसी को दे दो. शायद यही तरीका है दिल को बचाए रखने का.
Patali-The-Village ने कहा…
प्रसन्न रह कर ही प्रसन्नता बिखेरी जा सकती है। धन्यवाद|
विशाल ने कहा…
अब सोच रही हूँ,
पहले अपना दिल सहलाऊँ,
या उसका?

बहुत खूब
VIVEK VK JAIN ने कहा…
i think uska dik sahlaayiye.....apne liye to sab jee rhe h.
कोमल भावनाओ का एहसास. सुंदर कविता.
Udan Tashtari ने कहा…
बहुत कोमल अहसास देती रचना.

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