बहुत सुसंगत शब्द नहीं है मेरे पास पर कहना चाहती हूँ.... अगर नहीं कहूँगी तो आँसू नहीं थमेंगे ... इंसानों की यह भद्दी तस्वीर पहले भी देखी है, औरत की आबरू लुटते पहले भी देखी है, आज फिर दिल क्यूँ टूट रहा है, जब इंसानियत की अर्थी पहले भी देखी है? आदमी की ताकत और हैसियत औरत की योनि में गिरती पहले भी देखी है, औरत भी औरत को सताती, कुचलती, और हराती पहले भी देखी है! अभागी लाशों पर राजनीति, और बलात्कारियों को शह पहले भी देखी है, आज फिर दिल क्यूँ टूट रहा है, जब हैवानियत की जय-जयकार पहले भी देखी है! काश मैं उन बहनों से मिल सकती, उन्हें गले लगा के रो सकती, उन्हें कह सकती के: प्यारी बहन, याद रख तेरी आबरू तेरे जिस्म से बहुत गहरी है, सभ्य तुझे उसी इज़्ज़त से देखेंगे, जैसे पहले भी देखा है, तू फिर आँख मिलाएगी इस समाज से, जिसकी वहशी आँखों में तूने पहले भी देखा है! दोस्तों, कब तक सहेंगे हम ये सब, कब तक कहेंगे, यह हालत तो पहले भी देखी है, हाँ, बलात्कार को जंग का हथियार पहले भी देखा है, मगर हमने अपनी एकता ताकत भी तो पहले भी देखी है! आओ, मिल जाएं हम सब, फिर लाएं वही एकता, जो हमने पहले भी देखी ह
टिप्पणियाँ
कह देना हाले दिल मुझसे शायद कि आराम आए
बहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
शायद आराम आये
इन सवालों का कोई अंत नहीं ..लेकिन इंसान सोचता है कि उसे कहीं तो आराम आये ..और इसी चाहत में उसकी जिन्दगी बीत जाती है
बढिया प्रस्तुति
शुभकामनाये
शायाद आराम आये "
जी हाँ ! अंजना जी उसका रहम ही तो वो जहाज है इस अथाह भवसागर के मध्य, जिसपर बैठ कर ही आराम आता है.
कहा गया है 'मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे ,जैसे उड़े जहाज का पंछी फेर जहाज पे आवे,मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे.'
कितना भी उड़ लो इस भवसागर में ,थक हार कर यही जहाज ही सम्पूर्ण विश्रामस्थली है जीव की.
सुन्दर रचना...
मुबारक हो आपको रंग बिरंग की खुशियाँ .
हा हा हा sss हा हा हा हा ssss
खामोशी भी और तकल्लुम भी ,
हर अदा एक क़यामत है जी
http://www.shekhchillykabaap.blogspot.com/
शायद आराम आये'
बहुत अच्छा लिखा है आपने. 'आराम आए' के कई रंग घोल दिए आपने. हर पंक्ति आराम पाने का तरीका बताती है. इससे काफी आराम आया.
शायद आराम आये.
जल्दी आराम आये,बहुत खूब, होली पर आपको हार्दिक शुभ कामनाएँ.
शायाद आराम आये ... kisi tarah bas aaram aa jaye , bahut achhi rachna
शायाद आराम आये.
बहुत ही खूब.
साहिबे जमाल की शरण में जाने से ही शान्ति मिलेगी.
आपकी रचनायों में अध्यात्मिक पुट बहुत अच्छा लगता है.
सलाम.