शायद आराम आये...

कर दूँ अर्ज़-ऐ-हाल,
शायद आराम आये

बदलूँ सम्त-ऐ-ख़याल,
शायद आराम आये 

छिपा दूँ कहीं किताब-ऐ-सवाल,
शायद आराम आये

भुला दूँ सूरत-ऐ-हाल,
शायद आराम आये 

खो दूँ कहीं दर्द-ऐ-मलाल,
शायद आराम आये 

पा लूँ रहम तेरा ओ बादशाह-ऐ-जमाल,
शायाद आराम आये  


टिप्पणियाँ

DR. ANWER JAMAL ने कहा…
जब सब कर चुको तुम और आराम न आए
कह देना हाले दिल मुझसे शायद कि आराम आए
आराम की चाह में हम कितना व्यस्त रहते हैं।
आराम की चाह
बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका
केवल राम ने कहा…
छिपा दूँ कहीं किताब-ऐ-सवाल,
शायद आराम आये

इन सवालों का कोई अंत नहीं ..लेकिन इंसान सोचता है कि उसे कहीं तो आराम आये ..और इसी चाहत में उसकी जिन्दगी बीत जाती है
karo bhi kuch arz ... shayad aaram ho jaye, hata do her sawaal , shayad kuch aaram ho jaye ... bahut khoob
आराम आख़िर आराम है आराम का कोई सानी नहीं
Deepak Saini ने कहा…
आराम तो बस बादशाह -ऐ- जमाल का रहम पाने के बाद ही आयेगा
बढिया प्रस्तुति
शुभकामनाये
Rakesh Kumar ने कहा…
"पा लूँ रहम तेरा ओ बादशाह-ऐ-जमाल,
शायाद आराम आये "
जी हाँ ! अंजना जी उसका रहम ही तो वो जहाज है इस अथाह भवसागर के मध्य, जिसपर बैठ कर ही आराम आता है.
कहा गया है 'मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे ,जैसे उड़े जहाज का पंछी फेर जहाज पे आवे,मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे.'
कितना भी उड़ लो इस भवसागर में ,थक हार कर यही जहाज ही सम्पूर्ण विश्रामस्थली है जीव की.
आराम के लिए कुछ बयाँ भी कीजिये ....अच्छी प्रस्तुति
Kailash Sharma ने कहा…
आशा बनाए रखिये ज़रूर आराम आएगा..बहुत सुन्दर भावमयी रचना..होली की हार्दिक शुभकामनायें..
Shekhar Suman ने कहा…
उफ़...कितनी आरामपसंद हो गयी है ये ज़िन्दगी...
सुन्दर रचना...
@ आप कितना अच्छा लिखती हैं ?
मुबारक हो आपको रंग बिरंग की खुशियाँ .
हा हा हा sss हा हा हा हा ssss
खामोशी भी और तकल्लुम भी ,
हर अदा एक क़यामत है जी

http://www.shekhchillykabaap.blogspot.com/
Bharat Bhushan ने कहा…
'छिपा दूँ कहीं किताब-ऐ-सवाल,
शायद आराम आये'

बहुत अच्छा लिखा है आपने. 'आराम आए' के कई रंग घोल दिए आपने. हर पंक्ति आराम पाने का तरीका बताती है. इससे काफी आराम आया.
Rakesh Kumar ने कहा…
होली पर आपको और सभी ब्लोगर जन को हार्दिक शुभ कामनाएँ.
कर दूँ अर्ज़-ऐ-हाल,
शायद आराम आये.

जल्दी आराम आये,बहुत खूब, होली पर आपको हार्दिक शुभ कामनाएँ.
पा लूँ रहम तेरा ओ बादशाह-ऐ-जमाल,
शायाद आराम आये ... kisi tarah bas aaram aa jaye , bahut achhi rachna
विशाल ने कहा…
पा लूँ रहम तेरा ओ बादशाह-ऐ-जमाल,
शायाद आराम आये.


बहुत ही खूब.
साहिबे जमाल की शरण में जाने से ही शान्ति मिलेगी.
आपकी रचनायों में अध्यात्मिक पुट बहुत अच्छा लगता है.
सलाम.
Udan Tashtari ने कहा…
आराम तो आया पढ़कर.

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