ख्याल हूँ

कोई कोई ख़याल ठहर जाया करता है,
कहता है लफ़्ज़ों में पिरोदे मुझको

नज़्म बन जाऊं तो लाफ़ानी हो जाऊं 
गुमनामी में न खो दे मुझको 

दिलों को छू सकूँ हौले से,
इस तरह से कह दे मुझको 

दर्द है मुझमें मगर उम्मीद भी है,
मुस्कुरा के कह दे मुझको

सरहद-ओ-दिवार न रोक सके हरगिज़,
अमन का आँचल उड़ा दे मुझको

ताज़ा कर दूँ, जिस ज़हन से गुज़र जाऊं,
ठंडी हवा सा बना दे मुझको

कोई पैगाम बन जाऊं उसका,
यूँ मोहब्बत से भर दे मुझको 

कहता है तू भी तो एक ख्याल है उसका,
अपने से अलग न कर दे मुझको 

मेरा ख्याल मुझसे कहता है की मैं खुद खुदा एक का ख्याल हूँ.... 

ये ख्याल सी ज़िन्दगी उसकी खिदमत-ओ-तारीफ़ में लिखी एक नज़्म बन जाए, यही दुआ है....

टिप्पणियाँ

mridula pradhan ने कहा…
bahut hi khoobsurat likhi hain.
OM KASHYAP ने कहा…
इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।
Kailash Sharma ने कहा…
कोई पैगाम बन जाऊं उसका,
यूँ मोहब्बत से भर दे मुझको


बहुत सुन्दर भाव..बहुत सुन्दर
कोई पैगाम बन जाऊं उसका,
यूँ मोहब्बत से भर दे मुझको

बहुत खूब।
'ताज़ा कर दूं ,जिस ज़हन से गुज़र जाऊं

ठंडी हवा सा बना दे मुझको '



अंजना जी,

बहुत सुन्दर खयालात......उम्दा रचना
ताज़ा कर दूँ, जिस ज़हन से गुज़र जाऊं,
ठंडी हवा सा बना दे मुझको ...

ख्यालों की सुन्दर उड़ान है ... आमीन ...
Rakesh Kumar ने कहा…
क्या खूबसूरत और मोहब्बत से भरा शानदार ख्याल है आपका. दिल से लगाने को जी चाहता है.

"कोई पैगाम बन जाऊं उसका,
यूँ मोहब्बत से भर दे मुझको"
kantadayal ने कहा…
khyal to ate hen jate hen par tum khuda ke hathon ki banai hui ek behtarin rachna ho jise USNE soch samajh kar aram se banaya,hame us uddesh ko pura karna he.god bless u.
खूबसूरत और शानदार ख्याल है आपका
Udan Tashtari ने कहा…
कोई कोई ख़याल ठहर जाया करता है,
कहता है लफ़्ज़ों में पिरोदे मुझको


वाह!!



दुआ, शुभकामनाएँ...मंगलकामनाऎँ.

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