इल्म की रस्साकशी

कभी चोट यूँ लगती है की नफरत हो जाती है,
बात यूँ बढती है की रिश्तों में गफलत हो जाती है
चलिए, दर्द के पार, माफ़ी के पास चलें
नफरत के दमन के लिये

आप सही हैं, आप जानते हैं, वो सही हैं, वो मानते हैं,
इल्म की रस्साकशी कितनी खिंच जाती है, ये सब जानते हैं,
आइये, मोहब्बत के डोरे से बाँध लें अपने-परायों को,
इल्म का इस्तेमाल हो अमन के लिये 

सही है के समझाना ज़रूरी है,
मगर क्या मामला इतना उलझाना ज़रूरी है?
प्यार-ओ-इज्ज़त से कही मुख़्तसर सी बात
मोअस्सर है यकीन-ऐ-मन के लिये

ईमान इंसान का, खुदा का फज़ल-ओ-रहम है
इसमें इंसानी काबलियत सिर्फ एक वहम है,
जब चाहेगा बुला लेगा जिसे चाहे
वो नमन के लिये

टिप्पणियाँ

अंजना जी,
कौमी एकता पर बेमिसाल रचना !
शब्द विन्यास बहुत प्रभावशाली है !
आपने समय की नब्ज़ को पहचाना है ,आज ऐसे ही रचनाओं की आवश्यकता है !
साभार,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
सही है के समझाना ज़रूरी है,
मगर क्या मामला इतना उलझाना ज़रूरी है?
mamla ulajhte
koi baat samajh nahi aati
yah janna bhi zaruri hai
Deepak Saini ने कहा…
कौमी एकता पर बेमिसाल रचना !
शब्द विन्यास बहुत प्रभावशाली
एकता पर बेमिसाल रचना !
यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
कविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.
vandana gupta ने कहा…
सुन्दर प्रस्तुति सुन्दर संदेश के साथ्।
Bharat Bhushan ने कहा…
आइये, मोहब्बत के डोरे से बाँध लें अपने-परायों को,
इल्म का इस्तेमाल हो अमन के लिये.

सही सोच. इल्म का प्रयोग क्या होना चाहिए उसकी सही दिशा. बहुत अच्छी पोस्ट.
DR. ANWER JAMAL ने कहा…
@ बहन अंजना जी ! मैंने अपने वादे के मुताबिक़ एक लेख लिखा है .
कृपया आप और दीगर सभी लोग उसे एक नज़र देख लीजिये और बताइए की उसमें क्या कमी है ?
आपकी महरबानी होगी .
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/01/energy-of-anger.html
The Serious Comedy Show. ने कहा…
रस्साकशी......
रहिमन धागा प्रेम का...........
SURINDER RATTI ने कहा…
Anjana Ji,

Pyar aur mohabbat ki nasihat deti yeh rachna sunder hai .....
Surinder Ratti
Mumbai
amrendra "amar" ने कहा…
Sunder aur bhavpurn lekh k liye badhai........ http://amrendra-shukla.blogspot.com/
चलिए, दर्द के पार, माफ़ी के पास चलें
नफरत के दमन के लिये

वाह क्या खूब लिखा है आपने...इस संजीदा कलाम के लिए मेरी दिली दाद कबूल करें...



नीरज
'आइये मोहब्बत के डोरे से बाँध लें अपने-परायों को
इल्म का इस्तेमाल हो अमन के लिए '
बहुत सुन्दर रचना ..
मोहब्बत के धागे सबको बाँध लेते हैं।

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