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दिल की आवाज़ से ज़्यादा दूर मत जाइएगा

रुकिएगा नहीं, आगे ही चलते जाइएगा,  जिस राह भी जाएं, दिल की आवाज़ से ज़्यादा दूर मत जाइएगा                                  दौलत-ओ-शौहरत आसमां के तारों में कहीं होती है,                                  पर ख़ुशी कहीं दिल के पास छुपी होती है                                  कितनी भी दूर सफ़र क्यूँ ना करना पड़े, अपने करीब रहिएगा

Waseem Barelvi

काश कोई ऐसा साबुन होता

काश कोई ऐसा साबुन होता जिससे दिल साफ़ हो जाते, सदिओं पुरानी नाराज़गी पल में उड़न छु हो जाती बच्चों की मासूमियत बच्चों तक ही सीमित ना होती, अगर झगड़ा भी होता, तो मिंट में दोस्ती हो जाती दिलों और घरों के दरवाज़े हमेशा खुले रहते, पैसों से नहीं, प्यार से चीज़ें खरीदी जाती उप्परवाले की मोहोब्बत मज़्जिदों और मंदिरों तक भी पहुँच पाती, इज्ज़त हर इंसान के नसीब में बराबर आती उम्मीद की किसी घर में कमी ना होती, मिलजुल के हर मुश्किल हल हो जाती

लफ्ज़ बुनने लगती हूँ

जब जज़्बात उमड़ने लगते हैं, लफ्ज़ बुनने लगती हूँ कभी मुस्कराहट की शकल बनाती हूँ, कभी आसूओं के नमूने बुनने लगती हूँ कभी कोई रंग हाथ आता है, कभी कोई, रंगों का ताना-बाना बुनने लगती हूँ यह जज्बातों का धागा तो ज़िन्दगी के साथ ही ख़त्म होगा, कहीं फिर उलझ ना जाए,  यही सोच लफ्ज़ बुनने लगती हूँ

उड़ने के लिए पंख कैसे फैलाऊं?

कदम क्यूँ ना ठिठक जाएं, जब छोटी-छोटी ख़ताओं की बड़ी-बड़ी सजाएं हों? साँसे क्यूँ ना भारी हो जाएं, जब धुंए से भरी हवाएं हों? उड़ने के लिए पंख कैसे फैलाऊं, जब कैंचिओं से भरी फिजाएं हों? उस अंजुमन में मेरे मर्ज़ का इलाज कैसे मिले, जहाँ ज़हर से भुजी दवाएं हों? वो साथ रह कर भी कैसे साथ निभा पाता, जब वफ़ा के जामे में सिर्फ जफ़ाएं हों?

रंग बिरंगी एकता: मेरे ख्यालों

रंग बिरंगी एकता: मेरे ख्यालों

खुदा से डरो, खुदा के नाम पे लड़ने वालों

खुदा से डरो, खुदा के नाम पे लड़ने वालों, कदम रोक लो, तबाही को बड़ने वालों, ज़रा दिल-ओ-दिमाग को खोलो, छोटी-छोटी बातों पे अड़ने वालों

Peace Calls: A question to all...

Peace Calls: A question to all... : "How can we individually contribute to global peace?"

एक ज़िद्दी ख़्वाब

एक ज़िद्दी ख़्वाब बार-बार आखों में सज जाता है, के जश-ए-अमन में दुनिया मस्त है, दोस्ती की मस्ती है, मोहब्बत का बोलबाला है, नफरत, भ्रष्टाचार और मारामारी पस्त है.

स्वतंत्रता दिवस पे एक सादा सा सवाल और वही पुराना सन्देश

सादा सा सवाल है, ऊँगली ही उठाते रहेंगे तो, अपने गिरेबान में कब झाकेंगे? गलती तो कोई भी निकाल लेता है, उपाए सोचेंगे तभी तो आगे बढेंगे एक दुसरे की कमी भुलाके, साथ निभाना होगा, बचकानी बातें तज कर, बड़प्पन निभाना होगा, अपने वतन से किया वादा निभाना होगा, भारत माँ के हर पूत के साथ भाईचारे का रिश्ता निभाना होगा

सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं!

जब तक रहूँ बरकत बन सकूँ, इतना करम कर

दौलत और लम्बी उम्र की हसरत नहीं है मुझे, जब तक रहूँ बरकत बन सकूँ, इतना करम कर, इस जहाँ में बहुत से चेहरे आंसुओं से भीगे है, कुछ से तो मुस्कराहट बाँट सकूँ, इतना करम कर

नाम सुन कर, मज़हब जानने की कोशिश क्यों किया करते हैं?

नाम सुन कर, मज़हब जानने की कोशिश क्यों किया करते हैं? दिल परख़ कर, इंसान को जानना ज़रूरी है, लिफ़ाफे में नहीं, ख़त में पैगाम हुआ करता है, किताब-ए-दिल के मजमून को समझना ज़रूरी है, 

एक दुसरे से नाराज़ हो कर, कब मसले हल हुआ करते हैं?

एक दुसरे से नाराज़ हो कर, कब मसले हल हुआ करते हैं? हाथ बड़ा कर, हम कलाम हो कर, खुदा के बन्दे सफल हुआ करते हैं - गुडिया