नाराज़गी जितनी दिल में रखी जाए, उतनी ही भारी हो जाती है
नाराज़गी जितनी देर दिल में रखी जाए,
उतनी ही भारी हो जाती है,
दिल का बोझ बन जाती है,
सूखी-सूखी ज़िन्दगी बेचारी हो जाती है
न जाने क्यूँ फिर भी
इस बोझ को दिल से लगाए रहते हैं,
नाराज़गी की ता'बेदारी में
सर को झुकाए रहते हैं
रूठना-मनाना जायज़ है
थोड़ा सा गुस्सा, थोड़ी सी माफ़ी,
ज़िन्दगी के ज़ाएके और मिजाज़
बदलने को काफी
मगर लम्बी नाराज़गी,
ढेर सारा गुस्सा,
ना सेहत, ना रिश्ते,
ना दिल के चैन के लिये अच्छा
http://lifehacker.com/5614548/venting-frustration-will-only-make-your-anger-worse |
आँखें लाल, तमतमाता चेहरा,
उखड़े अंदाज़
कभी खामोश रंजिश
कभी खुल्लमखुल्ला एतराज़
गुस्सा आना गलत नहीं,
रह जाना गलत है,
इसे दिल में दबा लेना भी गलत है,
इसमें बह जाना भी गलत है
रुखसत हो जाए जो
एहसास-ऐ-नाराज़गी
ज़िन्दगी में आ जाए
बहार-ओ-ताज़गी
गुस्सा बदले उस जज़्बे में,
जो बदले यूँ सूरत-ऐ-हाल,
कलम, मुस्कराहट, माफ़ी,
गुफत-ओ-शानीद का हो इस्तेमाल
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टिप्पणियाँ
थोड़ा सा गुस्सा, थोड़ी सी माफ़ी,
ज़िन्दगी के ज़ाएके और मिजाज़
बदलने को काफी
यकीनन ....
बहुत खूबसूरत बात कही आपने
थोड़ा सा गुस्सा, थोड़ी सी माफ़ी,
ज़िन्दगी के ज़ाएके और मिजाज़
बदलने को काफी
मगर लम्बी नाराज़गी,
ढेर सारा गुस्सा,
ना सेहत, ना रिश्ते,
.
बहुत सुंदर. दिल को छु गयी यह पंक्तियाँ
रह जाना गलत है,
इसे दिल में दबा लेना भी गलत है,
इसमें बह जाना भी गलत है
... bahut sundar ... behatreen !!!
रह जाना गलत है,
इसे दिल में दबा लेना भी गलत है,
इसमें बह जाना भी गलत है
सौ बात की एक बात, यही है....बड़े ही काव्यात्मक अभिव्यक्ति से बातें समझाई हैं..
थोड़ा सा गुस्सा, थोड़ी सी माफ़ी,
ज़िन्दगी के ज़ाएके और मिजाज़
बदलने को काफी
कमाल की अभिव्यक्ति ......
इसमें बह जाना भी ग़लत है।
सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई।
थोड़ा सा गुस्सा, थोड़ी सी माफ़ी,
ज़िन्दगी के ज़ाएके और मिजाज़
बदलने को काफी
मगर लम्बी नाराज़गी,
ढेर सारा गुस्सा,
ना सेहत, ना रिश्ते,
ना दिल के चैन के लिये अच्छा
waah
रह जाना गलत है,
इसे दिल में दबा लेना भी गलत है,
इसमें बह जाना भी गलत है ...
सच है इसमें बह जाने की बजे ... इसे बहा देना चाहिए .... सुन्दर रचना है ...
रह जाना गलत है,
इसे दिल में दबा लेना भी गलत है,
इसमें बह जाना भी गलत है
बहुत सुन्दर और सकारात्मक सोच..सुन्दर अभिव्यक्ति..