ऐसी अदा-ऐ-गुज़ारिश मुझमें है

ये पंक्तियाँ हर उस दिल के लिए हैं जो ख्वाब देखता है एक बेहतर कल के लिए और उसे पूरा करने के लिए वो खुद ज़िम्मेदारी उठा लेता है... दूसरा कोई कदम उठाये या ना उठाये  वो पहला कदम उठा लेता है... और जब पहला कदम मजबूती और इमानदारी से बढाया जाता है खुदा के साथ-साथ कारवां भी साथ हो लेता है...

मेरा ही कदम पहला हो,
उस जहाँ की तरफ, जिसकी ख्वाहिश मुझमें है 


http://www.flickr.com/photos/31840831@N04/3200558333
जो ख्वाब उन सूनी आँखों ने देखा ही नहीं,
उसे पूरा करने की गुंजाइश मुझमें है 

खुदा को आसमानों में क्यूँ ढूंडा करूँ?
जब उसकी रिहाइश मुझमें है 

एक कारवाँ भी साथ हो ही लेगा,
ऐसी अदा-ऐ-गुज़ारिश मुझमें है

खुदगर्ज़ी की लहर में बर्फ हुए जातें हैं सीने,
दिलों के पिघलादे, वो गर्माइश मुझमें है 

मेरे ख्वाबों, मेरे अरमानों के लिए औरों को क्यों ताकूँ? 
इनकी तामीर की पैदाइश मुझमें है 



मौत पीठ थपथपाए अंजाम-ऐ-ज़िन्दगी यूँ हो,
खुद से ये फरमाईश मुझमें है  

टिप्पणियाँ

केवल राम ने कहा…
खुदा को आसमानों में क्यूँ ढूंडा करूँ?
जब उसकी रिहाइश मुझमें है
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
Anjana (Gudia)ji
नमस्कार
काफी प्रभावी पंक्तियाँ है ..खुदा की रिहाइश .. बहुत सुंदर कहा है ...और यह सच भी है ...बहुत खूब
कभी "चलते -चलते" पर भी अपनी नजर- ए- इनायत करना
शुक्रिया
vijay kumar sappatti ने कहा…
खुदा को आसमानों में क्यूँ ढूंडा करूँ?
जब उसकी रिहाइश मुझमें है

aapne itna behatreenlikh diya ab aur kahne ko bacha kya hai ....

aapki lekhni ko salaam ..

aapki saari posts padhi .. aap bahut accha likhti hai .. meri badhayi sweekar kare.


vijay
poemsofvijay.blogspot.com
बेनामी ने कहा…
वाह.. बहुत खूब...
खुदगर्ज़ी की लहर में बर्फ हुए जातें हैं सीने,
दिलों के पिघलादे, वो गर्माइश मुझमें है..
लाजवाब....

क्या क्या बदल गया है ....
Manish aka Manu Majaal ने कहा…
आज तो कोई गुंजाइश ही नहीं छोड़ी ;)
बहुत अच्छे, लिखते रहिये...
बेनामी ने कहा…
खुदगर्ज़ी की लहर में बर्फ हुए जातें हैं सीने,
दिलों के पिघलादे, वो गर्माइश मुझमें है

bohot khoob....

मेरे ख्वाबों, मेरे अरमानों के लिए औरों को क्यों ताकूँ?
इनकी तामीर की पैदाइश मुझमें है

behtareen kalaam hai, its beautiful dear :)
बेनामी ने कहा…
aapke blog ki ye ek baat mujhe bohot khoob lagi...

दिल भी कमाल करता है, जब खाली-खाली होता है, भर आता है

toooo good...!

:)
ख़ुदा कि आस्मानों पे क्यूं ढूढा करूं
जब उसकी रिहाइश मुझमें है।

अच्छी अभिव्यक्ति , बधाई
बहुत सकारात्मक सोच वाली गज़ल ...बहुत सुन्दर
Deepak Saini ने कहा…
खुदा को आसमानों में क्यूँ ढूंडा करूँ?
जब उसकी रिहाइश मुझमें है

बहुत अच्छे, वाह.. बहुत खूब
अच्छी अभिव्यक्ति , बधाई
arvind ने कहा…
जो ख्वाब उन सूनी आँखों ने देखा ही नहीं,
उसे पूरा करने की गुंजाइश मुझमें है
....वाह.. बहुत खूब
Archana writes ने कहा…
bahut hi acha likha hai...bilkul dil se nikali hue jajbat mahsus hote hai....Archana
The Serious Comedy Show. ने कहा…
kavitta ke vishay me kuch na kahate huey kahanaa chahoongaa ki vichaar bahut uttam hain.barkaraar rakhiye.
vandana gupta ने कहा…
बेहतरीन गज़ल्।


आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
अच्छी अभिव्यक्ति , बधाई
कडुवासच ने कहा…
... bahut sundar ... prasanshaneey !!!
भावों से भरपूर मगर कुछ कमी है इस ग़ज़ल में.....और कुछ सामान्य सी गलतियाँ आँखों में गड रही हैं....!!
tapish kumar singh 'tapish' ने कहा…
bahut khoob
apne to kamal kar diya
itna dard kanhi na meri ankhe chalak jayen
बहुत खूब, शुभकामनायें।
Bharat Bhushan ने कहा…
नए भावों का दरिाया ये पंक्तियाँ. वाह!
बहुत ही प्रेरणादायक और सकारात्मक पोस्ट और वो भी अलग अंदाज़ में, अच्छी लगी
Devatosh ने कहा…
जो ख्वाब उन सूनी आँखों ने देखा ही नहीं,


उसे पूरा करने की गुंजाइश मुझमें है ...



अंजना जी... ग़ज़ल की पहली लाइन ही सीमा रेखा के बाहर.

ऐसे-अदा-गुजारिश है मुझमे......

अदा - ए- गुजारिश......खूबसूरत ......अंदाज.
Kailash Sharma ने कहा…
मेरे ख्वाबों, मेरे अरमानों के लिए औरों को क्यों ताकूँ?
इनकी तामीर की पैदाइश मुझमें है ....

आत्मविश्वास से परिपूर्ण बहुत ही प्रेरक गज़ल..हरेक शेर लाज़वाब..बधाई
खुदा को आसमानों में क्यूँ ढूंडा करूँ?
जब उसकी रिहाइश मुझमें है ..

बहुत खूब .. क्या बात कही है ... सच है भगवान सब के अंदर है बस पहचान करने की कोशिश होनी चाहिए ...
Er. सत्यम शिवम ने कहा…
बहुत ही बेहतरीन रचना...मेरा ब्लागःः"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे....धन्यवाद

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

चल उठ, ज़िन्दगी, चलते हैं! -2

अब बस हुआ!!

मम्मी