चल उठ, ज़िन्दगी, चलते हैं

कभी-कभी ज़िन्दगी थम सी जाती है, ऐसी जगह ले आ जाती है जहाँ हम रोज़मर्रा के कामों इतना मशगूल हो जातें हैं की आगे बढ़ना भूल सा जाते हैं. वही रोज़ खाना पकाना, बच्चों को पढ़ाना, या दफ्तर का काम, बस यही रह जाता है... हम थक से जातें हैं... बहुत कुछ करना तो चाहते हैं, पर कुछ सूझता नहीं... भूल जातें हैं की शायद हम भी किसी गरीब या अनाथ बच्चे की पढाई का खर्च उठा सकते हैं, या किसी निरक्षर को पड़ना सिखा सकते हैं, या फिर पड़ोस में रहने वाले बुज़ुर्ग को हंसा सकते हैं.... कभी-कभी तो घर में एक साथ रहने वालों की दिल की ख़ुशी क्या है, यह जानने का भी वक़्त नहीं मिलता, उसे पूरा करना तो दूर की बात है...


पर हममें से कुछ ऐसे भी होते हैं जो ना जाने कितनी भी दिक्कतें हों, कितनी भी थकावट हो, अपने आपको समेटते हैं और ज़िन्दगी से कहतें हैं: 


चल उठ, ज़िन्दगी
चलते हैं,
अगले मुकाम की तरफ,
चलते हैं


थके थके ही सही,
आगे बड़ते रहते हैं,
चाहे धीरे धीरे ही,
कदम बढ़ाते रहते हैं 
कब तक थमे रहें यूँ ही,
चल, चलते हैं 


जो निकल गए आगे,
निकलने दे,
जो आ रहें हैं पीछे,
उन्हें आने दे,
हम अपनी रफ़्तार पे
चले चलते हैं 



रोते को हसांते 
चलते हैं,
गिरते को उठाते 
चलते हैं,
चल, मस्त धुन सुनाते,
चलते हैं 



वो जो जीते तो हैं, पर
जीना नहीं आता है,
चलते तो हैं, पर
रास्ता रुक सा जाता है,
तेरा तार्रुफ़ उनसे करवाना है,
आ, चलते हैं

टिप्पणियाँ

M VERMA ने कहा…
जो निकल गए आगे,
निकलने दे,
जो आ रहें हैं पीछे,
उन्हें आने दे,
हम अपनी रफ़्तार पे
चले चलते हैं

जिन्दगी की आपाधापी से विलग सामान्य गति भी आकर्षित करती है.
बेहतरीन एहसास की रचना और सुन्दर अभिव्यक्ति
रोते को हसांते
चलते हैं,
गिरते को उठाते
चलते हैं,
चल, मस्त धुन सुनाते,
चलते हैं

बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
आदत.......मुस्कुराने पर
तिलयार में छाया ब्लॉगरों का जादू .............संजय भास्कर
Sunil Kumar ने कहा…
कब तक थमे रहें यूँ ही,
चल, चलते हैं
बहुत सुंदर
चरैवेति, चरैवेति।
anjna gudiya bhn jivn jine kaa khushnumaa andaaz koi aapse sikhe behtrin faarmula btane ke liyen mubarkbad. akhtar khan akela kota rajsthan
कडुवासच ने कहा…
... bahut sundar .... shaandaar rachanaa !!!
GAJANAN RATHOD ने कहा…
Bahoot khoob. Badhai..........
vandana gupta ने कहा…
वो जो जीते तो हैं, पर
जीना नहीं आता है,
चलते तो हैं, पर
रास्ता रुक सा जाता है,
तेरा तार्रुफ़ उनसे करवाना है,
आ, चलते हैं

वाह! सकारात्मक दिशा देती कविता बहुत ही सुन्दर है।
वाह, सुन्दर प्रवाहमयी कविता !
shikha varshney ने कहा…
शीर्षक में गज़ब का आकर्षण है जो यहाँ तक खींच लाया .सुन्दर कविता.
Dorothy ने कहा…
हर हाल में गतिमान और गतिशील रहना... यही तो जिदगी में नए अर्थों और आयामों को रचता है. प्रेरणादायक,खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर
डोरोथी.
बेहतर रवानी लिये अच्छी कविता , बधाई।
Kunwar Kusumesh ने कहा…
चल उठ, ज़िन्दगी
चलते हैं,
अगले मुकाम की तरफ,
चलते हैं

कविता में भाव है प्रभाव है
कविता रावत ने कहा…
जो निकल गए आगे,
निकलने दे,
जो आ रहें हैं पीछे,
उन्हें आने दे,
हम अपनी रफ़्तार पे
चले चलते हैं
...sundar bhavpurn rachna
चल उठ, ज़िन्दगी
चलते हैं,
अगले मुकाम की तरफ,
चलते हैं
hain taiyaar hum
mridula pradhan ने कहा…
bahut achcha likhin hain aap.
सुन्दर अभिव्यक्ति...
जीवन चलने का नाम .....बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

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