हर इनकार ईमान हो जाता है

दिल टूटता तो है,
पर टूट के और बड़ा हो जाता है, 

हर ठोकर पर आह तो निकलती है ,
पर अगला कदम कुछ और होशिआर हो जाता है 

हमले का मकसद कुछ भी क्यूँ न हो,
हर हमले से हौसला कुछ और जवाँ हो जाता है 

राहेमंज़िल कितनी भी लम्बी हो,
इरादा पक्का हो तो सफ़र आसां हो जाता है 

कैद-खाना जिस्म रोक सकता है,
ख्याल सैलाखें तोड़ उड़न छू हो जाता है  

फज़ल उसका जब सेहरा को समंदर करता है 
हर इनकार ईमान हो जाता है 

टिप्पणियाँ

ZEAL ने कहा…
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हर ठोकर पर आह तो निकलती है ,
पर अगला कदम कुछ और होशिआर हो जाता है

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Life teaches us vital lessons .

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जब इन्कार ईमान हो तो उसे स्वीकार करें सब कोई।
हर ठोकर पर आह तो निकलती है ,
पर अगला कदम कुछ और होशिआर हो जाता है
sau pratishat sahi
Deepak Saini ने कहा…
कैद-खाना जिस्म रोक सकता है,
ख्याल सैलाखें तोड़ उड़न छू हो जाता है

very very good
M VERMA ने कहा…
हमले का मकसद कुछ भी क्यूँ न हो,
हर हमले से हौसला कुछ और जवाँ हो जाता है
बहुत सुन्दर और हौसला बढ़ाने वाली रचना ....
Bharat Bhushan ने कहा…
कैद-खाना जिस्म रोक सकता है,
ख्याल सलाखें तोड़ उड़न छू हो जाता है
बहुत अच्छी पंक्तियाँ.
अर इन्कार ईमान हो जाता है, ख़ूबसूरत पंक्तियां।
amar jeet ने कहा…
हमले का मकसद कुछ भी क्यों न हो
हर हमले से हौसला कुछ और जंवा हो जाता है!
दो लाइनों का मैंने यहाँ उल्लेख किया वैसे सभी लाइने एक से बढ़कर एक है !
वाह अंजना जी सुंदर लिखा है आपने.
Sagar ने कहा…
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति है॥
एक नजर इधर भी :-
एक अनाथ बच्चे और उसे मिली एक नयी माँ की कहानी जो पूरी होने के लिए आपके कमेन्ट कि प्रतीक्षा में है कृपया पोस्ट पर आकर उस कहानी को पूरा करने में मदद करने हेतु सभी मम्मियो और पापाओ से विनती है ॥
http://svatantravichar.blogspot.com/2010/11/blog-post_18.html
राहेमंज़िल कितनी भी लम्बी हो,
इरादा पक्का हो तो सफ़र आसां हो जाता है

hakeekat bayaan ki hai is sher mein .. isliye kahte hain iraade majboot one chahiyen ...
tapish kumar singh 'tapish' ने कहा…
bahut khub likha hai apne
phli baar apke blog pe aya
padh k acha laga
yunhi likhte rahiye

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