थोड़ा सा बुद्धू है...
मैं कहती नहीं,
फिर भी वो समझता है,
पर दिखाता नहीं.
की सब समझता है
बड़ा प्यारा सा खेल है,
आखों और मुस्कुराहटों का मेल है,
चुप-चुप चलती जज़बातों की रेल है,
जाने कैसे अनकहे एहसास
समझता है?
जितना बस में है, करता है,
अपनों के लिए करता है, गैरों के लिए करता है,
ऐसा इंसान कहाँ मिला करता है?
जो हर किसी को
अपना समझता है
क्या क्या बताऊँ जो उसने दिया,
बंद खिड़की खोल, मेरे सितारे का पता दिया
ना जाने कब मुझे मुझसे मिला दिया,
मुझसे ज़्यादा वो
मुझको समझता है
इतनी सहनशक्ति जाने कहाँ से लाता है,
गुस्सा जेब में रख कर, हंसी बांटता फिरता है,
खुद भी नहीं जानता की वो एक फ़रिश्ता है,
थोड़ा सा बुद्धू है, खुद को
मामूली इंसान समझता है
फिर भी वो समझता है,
पर दिखाता नहीं.
की सब समझता है
बड़ा प्यारा सा खेल है,
आखों और मुस्कुराहटों का मेल है,
चुप-चुप चलती जज़बातों की रेल है,
जाने कैसे अनकहे एहसास
समझता है?
जितना बस में है, करता है,
अपनों के लिए करता है, गैरों के लिए करता है,
ऐसा इंसान कहाँ मिला करता है?
जो हर किसी को
अपना समझता है
क्या क्या बताऊँ जो उसने दिया,
बंद खिड़की खोल, मेरे सितारे का पता दिया
ना जाने कब मुझे मुझसे मिला दिया,
मुझसे ज़्यादा वो
मुझको समझता है
इतनी सहनशक्ति जाने कहाँ से लाता है,
गुस्सा जेब में रख कर, हंसी बांटता फिरता है,
खुद भी नहीं जानता की वो एक फ़रिश्ता है,
थोड़ा सा बुद्धू है, खुद को
मामूली इंसान समझता है
टिप्पणियाँ
की हमें हुई अनुभूति प्यारी प्यारी,
आपकी और उस बुद्धू की ,
जमेगी खूब जोड़ी,
ऐसा 'मजाल' समझता है ...
लिखते रहिये ...
थोड़ा सा बुद्धू है, खुद को
मामूली इंसान समझता है ..
Wonderful !
.
http://i555.blogspot.com/
जय हिंद...
गुस्सा जेब में रख कर, हंसी बांटता फिरता है,
खुद भी नहीं जानता की वो एक फ़रिश्ता है,
थोड़ा सा बुद्धू है, खुद को
मामूली इंसान समझता है
AISA INSAAN PAR PYAAR KUON NAHI AAYE .... AISE BUDDHOO KI KADR KARNI CHAAHIYE ... GAHRE JAZBAAT KO AASAANI SE LIKHA HAI ...