टूटेगा नफरत का शिकंजा



जबसे चिट्ठाजगत से जुड़ी हूँ, अपने देश के ताज़ा हालातों के बारें में आसानी से पता चल जाता है, वो भी अलग-अलग नज़रियों से. सबसे अच्छी बात तो यह लगी की हमारे देश की महिलायें, भले ही सारी नहीं, सचमुच काफी तर्रकी कर रहीं हैं और बहुत से पुरुष उनकी तर्रकी का सम्मान कर रहें हैं. मैं तो यह सब पढ़ कर फूली नहीं समाई.

पर फिर धीरे-धीरे ऐसे ब्लोग्स से भी परिचय हुआ जो धर्म के नाम पर एक दुसरे पर अभी भी कीचड़ उछाल रहें हैं. मन बहुत दुखी हुआ. मैं मानती हूँ की दोनों तरफ गुस्से के कारण हैं पर किसी एक शख्स या गिरोह की वजह से सबसे नाराज़ हो जाना, यह कहाँ की अकलमंदी है? कितनी सदियों का साथ है पर फिर भी कुछ लोग आपसी प्यार, सौहार्द और भाईचारे को नकारने में लगे हुए हैं. उन्हीं के लिए यह पंक्तियाँ सादर लिखीं हैं:


जब सोचते हैं उन के बारे में
जो अच्छे नहीं लगते,
क्यूँ इतने नाराज़ हो जाते हैं, जब
वो आपके कुछ नहीं लगते?


कुछ तो रिश्ता ज़रूर है
उनसे भी आपका,
वरना उनकी बातों से क्यों
भरा है ब्लॉग आपका?
लगता नहीं की
वो आपके कुछ नहीं लगते


एक सरज़मीं है एक ही दाता,
कला, संस्कृति कितनी पास,
सदियों से रहें हैं मिलके,
गवाह है इतिहास,
किस तरह मान लें की,
वो आपके कुछ नहीं लगते?


जो बाँधा है संत कबीर के दोहों ने
वो बंधन नहीं टूटेगा,
टूटेगा नफरत का शिकंजा,
मोहब्बत का कौल नहीं टूटेगा,
अब तो भ्रम तोड़ दीजिये, की
वो आपके कुछ नहीं लगते


बंधन है तो 
निभा के दिखाईये,
ताकत है तो 
गैरों को भी इस तरह अपना बनाइये,
के फिर कोई यह ना सोचे, की 
वो आपके कुछ नहीं लगते 

टिप्पणियाँ

Bharat Bhushan ने कहा…
जो बाँधा है संत कबीर के दोहों ने
वो बंधन नहीं टूटेगा,
टूटेगा नफ़रत का शिकंजा,
मोहब्बत का कौल नहीं टूटेगा,
अब तो भ्रम तोड़ दीजिये, कि
वो आपके कुछ नहीं लगते

बहुत अपनत्व से मनुहार कर दी गई है.
बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
anjana ji
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
M VERMA ने कहा…
जो बाँधा है संत कबीर के दोहों ने
वो बंधन नहीं टूटेगा,
बहुत सुन्दर भाव .. सुन्दर नज़रिया
रंजन ने कहा…
from a poet to a blogger...

there are all kind of people in the world and in the blog world.. enjoy!!
Manish aka Manu Majaal ने कहा…
नतीजे बनाने से पहले,
थोडा तो वो हमें परखते,
फिर ठीक था जो कहते की कुछ नहीं लगते !

वो शेर है न :

बस औरों से कहा तुने, बस औरों से सुना तुने,
कुछ हमने भी कहा होता, कुछ हमसे भी सुना होता !

communication gap भी तो एक बड़ी वजह है ...

लिखते रहिये ...
Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…
सभी को हौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया!

@Majaal: क्या खूब शेर कहा है... बिलकुल सही!
बहुत अच्छी प्रस्तुति। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
मध्यकालीन भारत धार्मिक सहनशीलता का काल, मनोज कुमार,द्वारा राजभाषा पर पधारें
हृदय की ताकत तो उसकी विशालता में है, क्षुद्रता में नहीं।
vichaar ने कहा…
bahut hi sundar likha hai...pehli baar apka blog padha
Udan Tashtari ने कहा…
बिल्कुल सही कहा...उम्दा रचना!
बंधन है तो निभा के दिखाइए...उत्तम विचार...उत्तम संदेश
बेनामी ने कहा…
bahut hi sundar rachna...
yun hi likhte rahein..

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