कोई ऐसी टीचर दीदी होती, काश!
अखबारों में और बहुत सारे ब्लोग्स में भी पढ़ा है और दिल में जानती भी हूँ की हमारी बहुत सी मुश्किलों को बढाने में हमारे धार्मिक और राजनितिक नेताओं का काफी योगदान रहा है... जैसे बच्चों को सिखाने के लिए स्कूल होता है, वैसे ही इन्हें सिखाने के लिए भी कोई स्कूल होता तो मज़ा आ जाता!!! :-)
कोई ऐसी टीचर दीदी होती,
सारे नेताओं को क्लास में बैठाती,
'लड़ाई-लड़ाई माफ़ करो, भगवान् का नाम याद करो', ऎसे पाठ पढाती
जब टिफिन की रोटी अच्छी लगती थी,
बिन जाने हिन्दू की है या मुस्लिम की,
वो उन्हें उस बचपन की याद दिलाती
सफ़ेद, हरा और नारंगी,
मिल के रहते जैसे संगी,
वो उन्हें तिरंगे का मतलब समझाती
जो नेता फिर भी झगड़ें,
स्वार्थ को जो रहें जकड़ें,
वो उनको मुर्गा बनाती :-)
धीरे-धीरे नेता सुधर जाते,
भाईचारे के पथ में हमारे अगुवा बन जाते,
टीचर दीदी ऐसे पाठ पढाती
कोई ऐसी टीचर दीदी होती,
सारे नेताओं को क्लास में बैठाती,
'लड़ाई-लड़ाई माफ़ करो, भगवान् का नाम याद करो', ऎसे पाठ पढाती
जब टिफिन की रोटी अच्छी लगती थी,
बिन जाने हिन्दू की है या मुस्लिम की,
वो उन्हें उस बचपन की याद दिलाती
सफ़ेद, हरा और नारंगी,
मिल के रहते जैसे संगी,
वो उन्हें तिरंगे का मतलब समझाती
जो नेता फिर भी झगड़ें,
स्वार्थ को जो रहें जकड़ें,
वो उनको मुर्गा बनाती :-)
धीरे-धीरे नेता सुधर जाते,
भाईचारे के पथ में हमारे अगुवा बन जाते,
टीचर दीदी ऐसे पाठ पढाती
टिप्पणियाँ
मिल के रहते जैसे संगी,
वो उन्हें तिरंगे का मतलब समझाती
क्या भाव है ! बहुत सुन्दर
और हाँ ...मुझ पर इतना विश्वास ???? मन को सुकून पहुंचा गया ...इतने विश्वास के लिए शुक्रिया छोटा शब्द है ...फिर भी शुक्रिया .
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
waah kya kahna!
सारे नेताओं को क्लास में बैठाती,
'लड़ाई-लड़ाई माफ़ करो, भगवान् का नाम याद करो',
ऐसा पाठ पढाती
वाह ..
बहुत खूब !!
बिन जाने हिन्दू की है या मुस्लिम की,
आपने स्कूली दिनों की याद दिला दी .....!!