ना खेलो इन हर्फों से लापरवाही से

हर्फ़ मोतियों की तरह हर तरफ बिखरे हैं,
हर मोती की अपनी अदा है,
जुड़ जाएँ तो जवाहरात-ऐ- ख्याल हैं,
यह हर्फ़ ही तो पैगम्बर-ऐ-खुदा है

ना खेलो इन हर्फों से लापरवाही से,
इन्हें लफ़्ज़ों में बदलो दानाई से,
फिर लफ़्ज़ों को चुनो बड़ी सफाई से,
लफ्ज़ जो जोड़े दिलों को, उन्ही में रिहाइश-ऐ-खुदा है

अक्सर इन मोतियों की दुनिया में आ जाती हूँ,
नई-नई तरकीबों से इन्हें सजाती हूँ,
हर्फों को लफ़्ज़ों में, लफ़्ज़ों को शेरों में पिरोती हूँ,
यह शायरी बड़ी खूबसूरत बरकत-ऐ-खुदा है

टिप्पणियाँ

Bharat Bhushan ने कहा…
बहुत सुंदर भावना.
bhn anjnaa gudiya ji achchaa paath aane pdhaaya he shi khaa he ke hrf piro lo dhage men to mithi si motiyon ki gzl he agr bikher do idhr udhr to fir nfrt hinsaa felaane vaali aek khbr he bs shbdon yaani hrfon ki yhi karigri he ke yhi dva bhi he or yhi tbaahi bhi . akhtar khan akela kota rajthaan
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
रंजन ने कहा…
अक्सर इन मोतियों की दुनिया में आ जाती हूँ,
नई-नई तरकीबों से इन्हें सजाती हूँ,
हर्फों को लफ़्ज़ों में, लफ़्ज़ों को शेरों में पिरोती हूँ,
यह शायरी बड़ी खूबसूरत बरकत-ऐ-खुदा है..


वाकई..शायरी भी क्या चीज है.. डूब जाता है बन्दा..
हास्यफुहार ने कहा…
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
सच में शब्दों को करीने से सजाया है।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...

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