आज मेरी भी सालगिरह है
सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं!
आज मेरी भी सालगिरह है,
तोफ़्ह में अपना नूर दिखा दे,
सादगी और मोहब्बत से जीना सिखा दे
मेरे खुदा, मुझे अच्छा बना दे,
सवालों और जवाबों की होड़ ने बहुत दिल दुखाए हैं,
बोलूं तो समझदारी से, वरना चुप रहना सिखा दे
सही और ग़लत का फर्क कौन समझ सका है?
मुझे बस तेरी मर्ज़ी पे चलना सिखा दे
ग़मों और शायरी का बड़ा पुराना रिश्ता है,
मुझे अपने गीतों में मुस्कुराना सिखा दे
वो लफ्ज़, वक़्त ओ शख्स, जिन्हें भूलना ही वाजिब है,
ऐ खुदा, उन्हें भूलना सिखा दे,
जिस खिलखिलाहट पे ग़म सर झुका दे,
मुझे ऐसे हँसना सिखा दे
साज़ों और महफिलों की परवाह नहीं मुझे,
छोटी-छोटी खुशिओं की धुन पे झूमना सिखा दे
जो चलते-चलते निढाल हो चलें हों, उनकी हिम्मत बन सकूँ,
ऐसे साथ निभाना सिखा दे
अपनी माँ, मट्टी और अपनों से जुड़ी रहूँ,
इस तरह आगे बढ़ना सिखा दे
हर दिन इंतज़ार रहे उस दिन का, जब तुझसे मुलाकात होगी,
मुझे अपनी ज़िन्दगी के दिन गिनना सिखा दे
आज मेरी भी सालगिरह है,
तोफ़्ह में अपना नूर दिखा दे,
सादगी और मोहब्बत से जीना सिखा दे
मेरे खुदा, मुझे अच्छा बना दे,
सवालों और जवाबों की होड़ ने बहुत दिल दुखाए हैं,
बोलूं तो समझदारी से, वरना चुप रहना सिखा दे
सही और ग़लत का फर्क कौन समझ सका है?
मुझे बस तेरी मर्ज़ी पे चलना सिखा दे
ग़मों और शायरी का बड़ा पुराना रिश्ता है,
मुझे अपने गीतों में मुस्कुराना सिखा दे
वो लफ्ज़, वक़्त ओ शख्स, जिन्हें भूलना ही वाजिब है,
ऐ खुदा, उन्हें भूलना सिखा दे,
जिस खिलखिलाहट पे ग़म सर झुका दे,
मुझे ऐसे हँसना सिखा दे
साज़ों और महफिलों की परवाह नहीं मुझे,
छोटी-छोटी खुशिओं की धुन पे झूमना सिखा दे
जो चलते-चलते निढाल हो चलें हों, उनकी हिम्मत बन सकूँ,
ऐसे साथ निभाना सिखा दे
अपनी माँ, मट्टी और अपनों से जुड़ी रहूँ,
इस तरह आगे बढ़ना सिखा दे
हर दिन इंतज़ार रहे उस दिन का, जब तुझसे मुलाकात होगी,
मुझे अपनी ज़िन्दगी के दिन गिनना सिखा दे
टिप्पणियाँ
नमस्कार !
अपनी माँ, मिट्टी और अपनों से जुड़ी रहूँ,
इस तरह आगे बढ़ना सिखा दे
बहुत सुंदर !
शुभकामनाओं सहित …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
*~*~* जन्मदिन की बहुत बहुत बहुत बधाई और मंगलकामनाएं ! *~*~*
- राजेन्द्र स्वर्णकार
कविता बहुत पसंद आई..
Ashish
सवालों जवाबों की होड़ ने बहुत दिल दुखाए हैं,
बोलूं हो मिशरी घोलूं, वरना चुप रहना सिखा दे
यह भी अच्छा विचार है परंतु शतप्रतिशत नहीं. कभी एक की दस सुनानी ज़रूरी हो जाती हैं. शुभकामनाएँ.
Kya khuda se undekhi, unsuni reh sakegi.
nahi nahi,khuda ko aana hi hoga,jalwa aur noor dikhlana hi hoga,har din hi nahi har pal mulakato ka silsila banana hi hoga.
Dher si hardik shubh kamnaye.