अपनी ना जात एक है ना धर्म एक

स्नेहू के लिए!


तुझ  से बात करके रस्ते निकलने लगते हैं
गुप अँधेरे में भी तेरे शब्दों के दिए जलने लगते हैं 


तू वहां हंस देता है, यहाँ सुबह मुस्कुराने लगती है,
तेरी बातों में हर गाँठ खुलने लगती है,


छोटा सा है पर मेरा इतना ख्याल करता है,
आदर की सीमा बिना लांघे, जब चाहे मज़ाक उड़ाया करता है 


अपनी ना जात एक है ना धर्म एक,
फिर भी बांधे है कोई बंधन नेक


बेटा है, भाई है, दोस्त है या फिर कोई फ़रिश्ता है?
तू ही बता दे यह कैसा अजब सा रिश्ता है?



टिप्पणियाँ

विवेक सिंह ने कहा…
बेहतरीन भाव लिए हुए सुन्दर रचना ।
mai... ratnakar ने कहा…
तुझ से बात करके रस्ते निकलने लगते हैं
गुप अँधेरे में भी तेरे शब्दों के दीप जलने लगते हैं


तू वहां हंस देता है, यहाँ सुबह मुस्कुराने लगती है,
तेरी बातों में हर गाँठ खुलने लगती है,



सुन्दर भाव और अच्छी कृति, पढ़ कर अच्छा लगा
बड़ी अलग व सुन्दर रचना।
Manoj K ने कहा…
बहुत ही सुन्दर रचना.. जीवन में कई बार ऐसे रिश्ते होते हैं जिनकी कोई परिभाषा नहीं होती.
रंजन ने कहा…
स्नेहल... बड़ा प्यारा बच्चा है..

मैं भी मुस्करा देता हूं.. :)
Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…
सभी को बहुत शुक्रिया... आशा करती हूँ की स्नेहू को भी ये कविता अच्छी लगेगी...
abhi ने कहा…
बिलकुल पसंद आएगी स्नेहू को :)
DR.ASHOK KUMAR ने कहा…
कोमल अहसासोँ को महसूस कराती एक लाजबाव रचना हैँ। आभार! -: VISIT MY BLOG :- जब तन्हा होँ किसी सफर मेँ ........... गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।
Patali-The-Village ने कहा…
बहुत ही सुन्दर रचना..
कडुवासच ने कहा…
...bahut sundar .... behatreen !!!
RAJNISH PARIHAR ने कहा…
बड़ी अलग व सुन्दर रचना। पढ़ कर अच्छा लगा
छोटा सा है पर मेरा इतना ख्याल करता है,
आदर की सीमा बिना लांघे, जब चाहे मज़ाक उड़ाया करता है

anjana ji very well wrote nice
बेनामी ने कहा…
जो भी है अगर सच में ऐसा है तो ईश्वर उसे सलामत रखे - अंतर्मन में दस्तक देती सुंदर रचना
बहुत दिनों बाद इतनी बढ़िया कविता पड़ने को मिली.... गजब का लिखा है
Rakesh Kumar ने कहा…
yadi koi aapati na ho to,Snehu ke bare me kuch aur bhi bataye.Aapki bhawanaye uske prati ati uttam,snehpoorn aur vatsalya se rangi hai jo man ko mohti hai.

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