कभी थोड़ा ठहरो...
कभी थोड़ा ठहरो,
महसूस करो उस हवा को जो बालों को सहलाती है
कभी ज़रा रुक कर,
देखो उस बदली को जो ठंडी बूंदे बरसाती है
हर रोज़ अपने साथ वही रोज़ की खिच-खिच लाता है,
गौर करो, वो कभी-कभी अपने साथ इन्द्रधनुष भी लाता है,
कभी जी भर कर,
निहारो उस 'रंग बिरंगी एकता' को जो सारा आकाश भिगाती है
हर रोज़ हड़बड़ी में काम पे निकल जाते हैं,
रास्ते के फूल आपकी एक नज़र को तरस जाते हैं ,
कभी थम कर,
साँसों में भर लो उस खुशबु को जो सारी क्यारी महकाती है
महसूस करो उस हवा को जो बालों को सहलाती है
कभी ज़रा रुक कर,
देखो उस बदली को जो ठंडी बूंदे बरसाती है
हर रोज़ अपने साथ वही रोज़ की खिच-खिच लाता है,
गौर करो, वो कभी-कभी अपने साथ इन्द्रधनुष भी लाता है,
कभी जी भर कर,
निहारो उस 'रंग बिरंगी एकता' को जो सारा आकाश भिगाती है
हर रोज़ हड़बड़ी में काम पे निकल जाते हैं,
रास्ते के फूल आपकी एक नज़र को तरस जाते हैं ,
कभी थम कर,
साँसों में भर लो उस खुशबु को जो सारी क्यारी महकाती है
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