काश कोई ऐसा साबुन होता

काश कोई ऐसा साबुन होता जिससे दिल साफ़ हो जाते,
सदिओं पुरानी नाराज़गी पल में उड़न छु हो जाती

बच्चों की मासूमियत बच्चों तक ही सीमित ना होती,
अगर झगड़ा भी होता, तो मिंट में दोस्ती हो जाती

दिलों और घरों के दरवाज़े हमेशा खुले रहते,
पैसों से नहीं, प्यार से चीज़ें खरीदी जाती

उप्परवाले की मोहोब्बत मज़्जिदों और मंदिरों तक भी पहुँच पाती,
इज्ज़त हर इंसान के नसीब में बराबर आती

उम्मीद की किसी घर में कमी ना होती,
मिलजुल के हर मुश्किल हल हो जाती

टिप्पणियाँ

दीपक बाबा ने कहा…
अच्छी प्रस्तुति है...
Shashi Kant Singh ने कहा…
Mere blog pr aakr uttsahjank tippni dene k liye dhaywad. aap ki ye rachna bahut achchhi lagi.
kvi kvi sochta hu ki itna achchha kaise likha jata hai. keep it up.
My best wishes always with you.

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