जब तक रहूँ बरकत बन सकूँ, इतना करम कर

दौलत और लम्बी उम्र की हसरत नहीं है मुझे,
जब तक रहूँ बरकत बन सकूँ, इतना करम कर,
इस जहाँ में बहुत से चेहरे आंसुओं से भीगे है,
कुछ से तो मुस्कराहट बाँट सकूँ, इतना करम कर

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
निर्मल, सच्ची और बहुत अच्छी सोच
Patali-The-Village ने कहा…
अंजना जी बहुत अच्छे विचार हैं धन्यवाद्|
Rajkumar ने कहा…
is se adhik kisee cheez kee zaroorat hee kya hai?
Rohit joshi ने कहा…
ब्‍लॉग्‍स की दुनिया में मैं आपका खैरकदम करता हूं, जो पहले आ गए उनको भी सलाम और जो मेरी तरह देर कर गए उनका भी देर से लेकिन दुरूस्‍त स्‍वागत। मैंने बनाया है रफटफ स्‍टॉक, जहां कुछ काम का है कुछ नाम का पर सब मुफत का और सब लुत्‍फ का, यहां आपको तकनीक की तमाशा भी मिलेगा और अदब की गहराई भी। आइए, देखिए और यह छोटी सी कोशिश अच्‍छी लगे तो आते भी रहिएगा


http://ruftufstock.blogspot.com/



स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
Shashi Kant Singh ने कहा…
मनभावन रचना, दिल को छू जाने वाली रचना,
अति सुन्दर, सटिक, एक दम दिल कि आवाज.
कितनी बार सोचता हु कि इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है.
अपनी ढेरों शुभकामनाओ के साथ
shashi kant singh
www.shashiksrm.blogspot.com
बेनामी ने कहा…
Bahut badhiya.
ati sunder........

bhavo se paripurna rachna

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अब बस हुआ!!

राज़-ए -दिल

वसुधैव कुटुम्बकम्